खेतों व झरना का पानी से आसपास गांव के मवेशी और जंगली जानवर प्यास बुझाते थे
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प्रचंड गरमी से पहाड़ी झरना का जलस्तर घटा, जलापूर्ति प्रभावित
खेतों व झरना का पानी से आसपास गांव के मवेशी और जंगली जानवर प्यास बुझाते थे धालभूमगढ़ : गरमी बढ़ते ही पहाड़ी झरना का जलस्तर घटने लगा है. गोटाशिला पहाड़ के मिरगा झोरक झरना का जल स्तर घट गया है. मिरगाझोर झरना का जलस्तर घटने से धालभूमगढ़ प्रखंड के महिषाधरा गांव में जलापूर्ति प्रभावित होने […]
धालभूमगढ़ : गरमी बढ़ते ही पहाड़ी झरना का जलस्तर घटने लगा है. गोटाशिला पहाड़ के मिरगा झोरक झरना का जल स्तर घट गया है. मिरगाझोर झरना का जलस्तर घटने से धालभूमगढ़ प्रखंड के महिषाधरा गांव में जलापूर्ति प्रभावित होने लगी है. विदित हो कि सामाजिक संस्था आरडीए ने मिरगाझोर झवना से पाइप लाइन के माध्यम से महिषाधरा तक लगभग दो किलोमीटर जलापूर्ति शुरू करायी गयी थी. बिना किसी ऊर्जा के महिषाधरा गांव तक जलापूर्ति होती है.
ग्रामीणों ने बताया कि इसके पूर्व मिरगा झोर झरना का जल स्तर नहीं घटता था. झरना के आसपास के खेतों में गरमी में भी पानी बहता रहता था. खेतों और झरना का पानी आसपास के गांव के मवेशी और जंगली जानवर पीते थे. महिषाधरा और आसपास के ग्रामीण मिरगाझोर झरना को दैविक शक्ति का पीठ स्थान मानते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि मिरगाझोर झरना में पूजा के बाद स्नान करने से सभी प्रकार के चर्म रोग से मुक्ति मिलती है. चिकित्सा कराने की कोई जरूरत नहीं पड़ती है.
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