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जलेंगे 67 दीपक, 67 नारियल से होगी पूजा

गालूडीह. प्राचीन रंकिनी मंदिर का जीर्णोद्धार दिवस दो क गालूडीह : गालूडीह प्राचीन रंकिणी मंदिर का जीर्णोद्धार दो जून 1951 और बांग्ला तारिख के अनुसार 19 जेष्ठ 1358 में हुआ था. ब्रिटिश शासन के समय यहां नर बलि होने से अंगरेजी हुकूमत ने मंदिर में ताला लगवा दिया था. तब से मंदिर बंद था. 33 […]

गालूडीह. प्राचीन रंकिनी मंदिर का जीर्णोद्धार दिवस दो क

गालूडीह : गालूडीह प्राचीन रंकिणी मंदिर का जीर्णोद्धार दो जून 1951 और बांग्ला तारिख के अनुसार 19 जेष्ठ 1358 में हुआ था. ब्रिटिश शासन के समय यहां नर बलि होने से अंगरेजी हुकूमत ने मंदिर में ताला लगवा दिया था. तब से मंदिर बंद था. 33 वर्ष की आयु में संन्यासी विनय दास बाबाजी यहां पहुंचे.
उन्होंने बंद मंदिर को देखा और दो जून 1951 को मंदिर का ताला खुलवा कर उसका जीर्णोद्धार कर पूजा शुरू कर दी. तब से यहां नर बलि बंद है. सादगी पूर्ण मां रंकिनी पूजी जा रही है. दो जून को इस मंदिर का 67 वां जीर्णोद्धार दिवस मनाया जायेगा. मंदिर कमेटी के जगदीश भकत ने बताया कि मौके पर 67 दीये जलेंगे और 67 नारियल फोड़ कर विशेष पूजा होगी. मंदिर के मुख्य पुजारी सह संन्यासी विनय दास बाबाजी और सह पुजारी व बाबाजी की देख रेख करने वालों को
वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया जायेगा. बाबाजी ने कहा कि 33 वर्ष की आयु में वे मंदिर में अाये थे. आज 101 वर्ष हो गये. 67 साल से मंदिर में मां रंकिनी की सेवा में जुटे हैं. उन्होंने 13 वर्ष की आयु में उपनयन के समय घर छोड़ दिया था.
कौन हैं बाबाजी
बंगलादेश के श्रीहट्ट जिले के निवासी विनय दास बाबाजी ने कहा कि एक बार कमंडल खरीदने जमशेदपुर आये थे. तब गालूडीह में उतर गया. गुजरते समय इस मंदिर को बंद मिला तो यहां आ गये. उन्होंने 67 साल में रंकिणी मंदिर को विकसित किया. बांसती, राम मंदिर बनवाया. धर्मशाला का निर्माण किया. छौडुंगरी में शिव मंदिर और दारीसाई में नव कुंज मंदिर का निर्माण कराया. आज उनके कई हजार भक्त हैं.

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