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पाट भोक्ता के साथ प्रसिद्ध मेला आज से

हरिणा में जागरण का हुआ आयोजन, पूजा करने के लिए उमड़ी भीड़ पोटका : सिंहभूम के प्रसिद्ध मेला में एक हरिणा मेला मंगलवार को विधिवत रूप से शुरू हो जायेगा. इसको लेकर स्थानीय और प्रशासनिक तैयारियां पूरी कर ली गयी है. इसके पूर्व सोमवार को जहां नियमित पूजा करने के लिए हरिणा मंदिर में भक्तों […]

हरिणा में जागरण का हुआ आयोजन, पूजा करने के लिए उमड़ी भीड़
पोटका : सिंहभूम के प्रसिद्ध मेला में एक हरिणा मेला मंगलवार को विधिवत रूप से शुरू हो जायेगा. इसको लेकर स्थानीय और प्रशासनिक तैयारियां पूरी कर ली गयी है. इसके पूर्व सोमवार को जहां नियमित पूजा करने के लिए हरिणा मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी, वहीं रात्रि को हरिणा गांव में जागरण का आयोजन किया गया. मंगलवार को भक्त शिव सागर तालाब में स्नान कर हरिणा मंदिर में जल चढ़ायेंगे.
दुकानें तैयार, मीना बाजार आज से चलेगा. हरिणा मंदिर परिसर में सैकड़ों की संख्या में दुकानें लगायी गयी है, जो सोमवार तक पूरी तरह से तैयार हो गयी, वहीं मंगलवार से मीना बाजार शुरू हो जायेगा. इस मीना बाजार में बिजली झूला, मौत का कुआं, रेलगाड़ी झूला आदि लगाया गया है. वहीं युवाओं के लिए खास रूप से तीन-तीन बुगी-वूगी ड्रांस प्रोग्राम चलना शुरू हो गया है.
दुकानों में मनिहारी से लेकर गहनों तक की दुकान लगायी गयी है, जबकि होटलों में ठेला से लेकर रेस्टोरेंट तक की व्यवस्था की गयी है.
मेला के अंदर तक नहीं ले जा सकेंगे चार पहिया वाहन. मेला के अंदर आवागमन में किसी तरह की दिक्कत नहीं हो, इसके लिए कमेटी की ओर से मेला के अंदर तक चार पहिया वाहन ले जाने पर पाबंदी लगायी गया है. इसके लिए कमेटी की ओर से बोडडीह के समीप स्टैंड बनाया गया है, वहीं बोडडीह से एक बाइपास रास्ता तैयार किया गया है.
इसकी जानकारी मेला संचालक सुशांत दंडपाट ने दी.
संजय सरदार
पोटका : जमशेदपुर शहर से 45 किमी दूर पोटका प्रखंड के हल्दीपोखर-कोवाली-डुमरिया मुख्य मार्ग पर जंगल के किनारे लगनेवाले हरिणा मेला सिंहभूम में प्रसिद्ध मेले में से एक है. प्रतिवर्ष रोजो संक्रांति के अवसर पर लगनेवाली इस मेला को देखने के झारखंड, ओड़िशा एवं बंगाल से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस वर्ष भी यह मेला का आयोजन 16 जून से 19 जून तक धूमधाम से किया जा रहा है.
इसको लेकर हरिणा के आसपास के गांव अभी से ही उत्साहित है. क्षेत्र के चारों ओर उत्साह का माहौल है. लोग मेला को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली है. वहीं मेला को लेकर प्रशासनिक तैयारियां भी पूरी कर ली गयी है. प्रसिद्ध हरिणा मेला को लेकर स्थानीय लोगों ने बताया कि हरिणा का बूढ़ा बाबा काफी जाग्रत है. इनके यहां जो भी आकर अपने सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी मनोकामना निश्चित रूप से पूर्ण होती है. यही कारण है कि प्रतिवर्ष रोजो संक्रांति के अवसर पर लाखों की संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं.
1855 से होती आ रही है पूजा. हरिणा में बूढ़ा बाबा की पूजा आज से नहीं, बल्कि 1855 से होती आ रही है. साल में प्रति सोमवार को पूजा होने के साथ-साथ श्रवन में जल चढ़ाने के लिए काफी दूर दराज से लोग यहां पहुंचते हैं.
पूजा को लेकर प्रचलित कथा
हरिणा में बूढ़ा बाबा की पूजा को लेकर कई कथाएं प्रचलित है, लेकिन इस संबंध में हरिणा मंदिर के पूजारी बजरांकण दंडपाट ने बताया कि 1855 के आसपास उनके पीढ़ी के कृपा सिंधु दंडपाट के पुत्र चैतन्य दंडपाट के घर में काफी संख्या में गाय थे, जिसे चराने के लिए जंगल की ओर (वर्तमान में मुक्तेश्वरधाम आश्रम) ले जाया जाता था, जब प्रतिदिन शाम को किसी ने किसी गाय के थन से दूध गायब पायी जाती थी, जिसका खामियाजा में चरवाहा को डांट सुननी पड़ती थी. प्रतिदिन डांट-फटकार से परेशान चरवाहा ने गायों पर कड़ी नजर रखना शुरूकर दिया. इसके बाद एक दिन देखा की गाय जंगल में एक जगह खड़ी है और उसके थन से दूध अपने आप निकल रही है.
चरवाहा ने तत्काल इसकी खबर अपने मालिक को दी. इसके बाद मालिक ने भी इस घटना को देखा. धीरे-धीरे इसकी जानकारी चारों ओर फेल गयी. गांव वाले इसकी सच्चई जानने के लिए उस स्थल पर गये, तो देखा की वहां एक शिवलिंग है. इसके बाद से यहां पूजा अर्चना शुरू की गयी, जो आज भी जारी है.
सात पीढ़ी से पूजा करते आ रहा दंडपाट परिवार. हरिणा में भगवान शिव की पूजा हरिणा का दंडपाट परिवार पिछले सात पीढ़ी से करते आ रहे हैं. इस मंदिर के सबसे पहले पूजारी कृपा सिंधु दंडपाट के पुत्र चैतन्य दंडपाट थे. उसके बाद उनके पुत्र दुखू दंडपाट, पंचानन दंडपाट, डोमन दंडपाट, सतिश दंडपाट, शैलेस दंडापाट (सभी स्वर्गीय) एवं वर्तमान में शिव मंदिर के पूजारी दिनेश दंडपाट, बजरांकण दंडपाट, काली मंदिर के पूजारी अंबुज दंडपाट, गणोश मंदिर के पूजारी जगदीश प्रहराज हैं.
कई मंदिर स्थापित है आश्रम परिसर में. हरिणा के मुक्तेश्वरधाम आश्रम परिसर में शिव मंदिर के अलावा काली मंदिर, गणोश मंदिर, अनंत सा (गुफा), हनुमान मंदिर, हरि मंदिर, यज्ञ मंडप, समाधि मंदिर, विवाह मंडप, धुनीशाल आदि स्थित है.

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