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अवैध क्रशर का भंडाफोड़
पहाड़ियों के गायब होने का मामला बहरागोड़ा : प्रभात खबर में नौ मई को छपी खबर बहरागोड़ा की गुहियापाल पंचायत के नारंगडीह से गायब हुई तीन पहाड़ियां के बाद मामले की जांच पुलिस ने शुरू कर दी है. शनिवार को घाटशिला के एसडीपीओ पूज्य प्रकाश ने आरोपित व्यवसायी रंजीत बाला को साथ लेकर स्थल की […]
पहाड़ियों के गायब होने का मामला
बहरागोड़ा : प्रभात खबर में नौ मई को छपी खबर बहरागोड़ा की गुहियापाल पंचायत के नारंगडीह से गायब हुई तीन पहाड़ियां के बाद मामले की जांच पुलिस ने शुरू कर दी है. शनिवार को घाटशिला के एसडीपीओ पूज्य प्रकाश ने आरोपित व्यवसायी रंजीत बाला को साथ लेकर स्थल की जांच की.
अवैध खनन की शिकार पहाड़ियों को देखा. इस जांच में नारंगडीह के पास अवैध रूप से क्रशर संचालन का भंडाफोड़ हुआ. एसडीपीओ को देख क्रशर के कर्मचारी भाग निकले. उन्होंने मजदूरों से क्रशर के संचालक के रूप में रंजीत बाला की पहचान करायी. मजदूरों ने कहा कि रंजीत बाला यहां क्रशर नहीं चलाते हैं. वे यहां कभी नहीं आये. मजदूरों ने इतना जरूर कहा कि कोई बाला नामक व्यक्ति ही उक्त क्रशर को चलवा रहा है. एसडीपीओ ने थाना को निर्देश दिया कि क्रशर के तमाम कागजातों की जांच कर उन्हें रिपोर्ट सौंपे.
मामला कुछ ऐसा है : जिला खनन कार्यालय के पत्रंक 1573 दिनांक 20 जून 2014 के तहत यहां के व्यवसायी रंजीत कुमार बाला से तलब किया था. कहा गया था कि विशेष शाखा की सूचना के मुताबिक आपके द्वारा गुहियापाल पंचायत के नारंगडीह गांव के पास पहाड़ियों पर अवैध खनन हो रहा है. 15 दिनो में जवाब दें. वर्ना कार्रवाई की जायेगी.
रंजीत बाला का जवाब
रंजीत बाला ने तीन जुलाई को पत्र के माध्यम से खनन विभाग को जवाब भेजा. पत्र में कहा कि नारंगडीह के पास उनके नाम पर खनन का पट्टा नहीं है. मैं अनुज्ञप्ति धारक भी नहीं हूं. कभी भी अवैध खनन नहीं करते थे और न करते हैं. मेरा टाटा मोटर का सर्विस स्टेशन है, इसलिए स्थल की जांच कर अवैध खनन करने वाले लोगों पर कठोर कार्रवाई की जाये.
मामले ठंढे बस्ते में
इसके बाद खनन विभाग ने इस मामले को ठंढे बस्ते में डाल दिया. मामले की जांच नहीं हुई और इन पहाड़ियों पर अवैध खनन धड़ल्ले से होता रहा. नतीजतन पहाड़ियों का अस्तित्व मिट गया. आज भी इन पहाड़ियों पर अवैध खनन धड़ल्ले से हो रहा है.
अवैध क्रशर का संचालन
विशेष शाखा की सूचना के बावजूद स्थल जांच की नहीं हुई. अलबत्ता इतना जरूर हुआ कि नारंगडीह के पास ही फरवरी 2014 से 100 टन प्रति घंटा पत्थर तोड़ने वाले क्षमता के क्रशर का संचालन होने लगा. आज यह भी क्रशर चल रहा है. क्रशर के पास पत्थरों का अकूत भंडार है. यह क्रशर किसका है? क्रशर के संचालन के लिए आवश्यक कागजात हैं अथवा नहीं. यहां से पत्थर कहां जाता है. यह जांच का विषय है. जांच के बाद सब कुछ सामान्य हो जायेगा.
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