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लाल कार्ड शराब भट्ठियों में बंधक
गालूडीह : विलुप्त होते आदिम जनजाति समाज के सबर जनजाति के लोग सरकारी और निजी संस्थाओं के लाख प्रयास के बावजूद आज भी हाशिये पर ही है. घाटशिला प्रखंड के घुटिया, हलुदबनी, केशरपुर, दारीसाई, बासाडेरा, कानीमहुली आदि सबर बहुल गांवों में सबर जनजाति के लोग शराब के आदी हो चुके हैं. सुबह से शाम तक […]
गालूडीह : विलुप्त होते आदिम जनजाति समाज के सबर जनजाति के लोग सरकारी और निजी संस्थाओं के लाख प्रयास के बावजूद आज भी हाशिये पर ही है. घाटशिला प्रखंड के घुटिया, हलुदबनी, केशरपुर, दारीसाई, बासाडेरा, कानीमहुली आदि सबर बहुल गांवों में सबर जनजाति के लोग शराब के आदी हो चुके हैं.
सुबह से शाम तक नशे में डूबे रहते हैं. इस बात को आदिम जनजाति कल्याण समिति की अध्यक्ष रानी सबरीन और जिला सचिव उमापद सबर भी स्वीकार करते हैं. समिति सबरों में जागरूकता लाने का प्रयास भी कर रही है, परंतु सबरों की स्थिति में ज्यादा कुछ बदलाव कल आया था न आज आया है. अशिक्षा के कारण अधिकांश सबर शराब के आदी हैं. घुटिया के ग्राम प्रधान प्रफुल्ल सिंह कहते हैं कि अधिकांश सबर शराब के लिए राशन का चावल शराब भट्ठियों में बेच देते हैं.
बदले में शराब लेते हैं. कई सबरों का लाल कार्ड और अंत्योदय कार्ड शराब भट्ठियों में बंधक भी हैं. रवि सबर भी इस बात को स्वीकार करते हैं. हलुदबनी में सबरों के प्रधान अरुण सबर कहते हैं शराब के लिए वस्तु विनिमय प्रणाली आज भी लागू हो रही है. सबर भट्ठियों में लाल और अंत्योदय कार्ड का चावल देकर बदले में शराब लेकर पीते हैं. गांवों में शराब भट्ठियां बंद हो जायेगी, तो चावल लो और शराब दो का सिस्टम भी बंद हो जायेगा. आजजा कल्याण समिति के जिला सचिव उमापद सबर कहते हैं अशिक्षा के कारण सबर आज भी पिछड़े हैं. जागरूकता लाने का प्रयास किया जा रहा है. बदलाव तुरंत संभव नहीं है. समय लगेगा.
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