धालभूमगढ़. धालभूमगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में प्रत्येक माह की नौ तारीख को गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच के दौरान अमानवीय व्यवहार हो रहा है. गर्भवती महिलाएं घंटों धूप में सड़क किनारे कतार में जांच के लिए खड़ी रहती हैं. मंगलवार को लगभग 200 गर्भवती महिलाएं जांच के लिए पहुंचीं. कड़ी धूप में खड़ी जुगीशोल की एक महिला बेहोश होकर गिर गयी. इसके बाद प्रसव गृह में ले जाकर इलाज किया गया. बीपीएम अभय कुमार ने बताया कि महिलाओं के बैठने के लिए शेड बनाया गया है. हालांकि, 200 से ज्यादा महिलाओं के लिए पर्याप्त नहीं है. अगले माह से महिलाओं की बैठने के लिए कुर्सियों की व्यवस्था की जायेगी.
स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं, आयुष चिकित्सक करते हैं जांच:
ज्ञात हो कि सीएचसी में स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है. आयुष चिकित्सक गर्भवती महिलाओं की जांच करते हैं. बीपीएम अभय कुमार ने बताया कि प्रखंड ही नहीं, पूरे जिले में स्त्री रोग विशेषज्ञ की कमी है. ऐसे में जो चिकित्सक उपलब्ध हैं, उन्हीं से जांच करायी जाती है.‘न बैठने की व्यवस्था है, न पेयजल की’:
महिलाओं के अनुसार, गर्भावस्था के 7-8 माह बाद भी किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से जांच नहीं करायी गयी. एएनसी जांच के लिए प्रत्येक माह की 9 तारीख को सीएचसी में बुलाया जाता है. वहां न बैठने की पर्याप्त व्यवस्था रहती है, न पेयजल की. इसके कारण धूप और बरसात में महिलाओं को सड़क किनारे लाइन में खड़े रहना पड़ता है.प्रोत्साहन राशि की आस में परेशानी उठाने को विवश हो रहीं महिलाएं
ज्ञात हो कि गर्भवती महिलाएं प्रोत्साहन राशि मिलने की आस में हर माह सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में लाइन लगाने को विवश हैं. वहीं, जांच और इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. एएनसी जांच में गर्भवती की समुचित देखभाल व स्वास्थ्य जांच होती है, ताकि स्वस्थ प्रसव हो व माता-शिशु को कोई खतरा न हो.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

