घाटशिला. प्रभात खबर के 25 जून के अंक में ‘जो जानवरों को रखने लायक नहीं, वैसे घरों में रहने को विवश हैं सबर परिवार’ शीर्षक के साथ छपी खबर पर आदिम जनजाति उत्थान मंच ने संज्ञान लिया. मंच के अध्यक्ष लोबिन सबर के नेतृत्व में टीम बुधवार को गुड़ाबांदा के सबर बस्तियों में पहुंची. बदहाल सबरों का हाल जाना. टीम ने पाया कि एक गांव में 21 सबर परिवार हैं. वहां मात्र तीन सबर परिवार को सरकारी आवास मिला है, बाकी झुग्गी-झोपड़ी में किसी तरह बाल-बच्चों के साथ गुजारा कर रहे हैं. स्थिति दयनीय है. लोबिन सबर ने बताया कि गोलकाटा गांव में 21 सबर परिवार हैं. यहां मात्र तीन सबर परिवार को सरकारी आवास मिला है, बाकी की जिंदगी कष्टकर है. पूरी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपी जायेगी. मंत्री रामदास सोरेन को भी अवगत कराया जायेगा.
कई आवास रहने लायक नहीं, तिरपाल टांगकर रहते हैं सबर
मंच की टीम गुड़ाबांदा प्रखंड की मुड़ाकाटी और सिंहपुरा पंचायत के सबर बस्तियों में पहुंची. मंच के अध्यक्ष लोबिन सबर के साथ जिला सचिव कान्हु सबर, प्रखंड अध्यक्ष बुधदेव सबर, सुकरा सबर, सुभाष सबर, प्रदीप सबर भी शामिल थे. टीम ने सबर गांवों का दौरा किया. सबरों से मिलकर पूरी रिपोर्ट ली. लोबिन सबर ने बताया कि अधिकतर सबरों के घर बरसात में क्षतिग्रस्त हो गये हैं. कई आवास रहने लायक नहीं है. कुछ परिवार प्लास्टिक टांग और फूस की झोपड़ी में रह रहे हैं. अर्जुनबेड़ा गांव के गुलटू सबर, लुलू सबर, जानकी साबर, कोंदा सबर, बुधु सबर, मंगल सबर, जिंदा सबर, लखी सबर, सोमवारी सबर एवं ज्वालकाटा गांव के दिलीप सबर, कमल सबर, बुदनी सबर की जिंदगी बदहाल है.
ज्ञात हो कि झारखंड के स्कूली शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन की पहल पर एक माह पूर्व सबर-बिरहोरों के उत्थान और मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आदिम जनजाति उत्थान मंच का गठन किया गया था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

