दुमका नगर/बासुकिनाथ. उपराजधानी दुमका में अक्षय नवमी के अवसर पर महिलाओं ने आंवला के पेड़ के नीचे पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की. इसके अलावा आंवला वृक्ष पर महिलाओं ने धांगा बांधकर उसकी परिक्रमा की. उसके बाद महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाया और वृक्ष के नीचे भोजन किया. ऐसी मान्यता है कि आंवला के वृक्ष को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है. आंवला के वृक्ष के नीचे पूजा और परिक्रमा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है. साथ ही आंवला वृक्ष के नीचे पूजा करने के बाद, भोजन करने और ब्राह्मणों को भोजन कराने से सभी पापों और बीमारियों से मुक्ति मिलती है. अक्षय नवमी को सुख, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. इस दिन स्नान, पूजा और दान करने से सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है. इधर, बासुकिनाथ में भी अक्षय नवमी का पर्व गुरुवार को हर्षोल्लास से मनाया गया. महिलाओं ने भगवान विष्णु का प्रतीक आंवला के पेड़ की पूजा अर्चन करने के बाद दान पुण्य किया. परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की. पेड़ के नीचे ब्राह्मणों को भोजन भी कराया गया. अक्षय नवमी पर्व को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह रहा. अक्षय नवमी पर भक्तों ने आंवला वृक्ष की पूजा की. आंवला वृक्ष के नीचे पूजा करने व भोजन करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा आरोग्यता व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. पंडित सुधाकर झा ने बताया कि अक्षय नवमी शुभ, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. अक्षय नवमी पर पूजा, स्नान और दान करने से सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है. इसी कारण से अक्षय नवमी का विशेष महत्व होता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार अक्षय नवमी की तिथि पर ही सतयुग की शुरुआत हुई थी. महिलाओं ने आंवला के वृक्ष में धागा बांधा और पूजा-अर्चना के साथ व्रत पूरा किया.
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