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शिक्षकों की कमी के चलते बंगाल में पढ़ते हैं बच्चे

हाइस्कूल से लाभ नहीं, प्रभात खबर संवाद में बोले राणाबांध के ग्रामीण

रानीश्वर. गांव में हाइस्कूल रहते हुए भी शिक्षकों की कमी के चलते और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अभाव में बच्चे पढ़ने के लिए पश्चिम बंगाल के कापिस्ता समेत अन्य गांव के हाइस्कूल जाने को विवश हैं. हरिपुर पंचायत के उत्क्रमित उच्च विद्यालय राणाबांध का समुचित लाभ बच्चों को नहीं मिल रहा. पहले मिडिल स्कूल था. आसपास के ग्रामीणों व अभिभावकों ने हाइस्कूल की मांग की थी, तब वर्ष 2013 में हाइस्कूल में अपग्रेड करते हुए दोमंजिला भवन में निर्माण कराया गया, पर सबसे जरूरी जो था, वह नहीं किया गया. विषयवार शिक्षकों का पदस्थापन नहीं किया गया. प्रभात संवाद में अभिभावकों ने शिक्षा विभाग के उपेक्षित रवैये पर पीड़ा रखी. कहा कि जहां 10 कक्षाएं चलती हो और शिक्षक चार हों, तो समझा जा सकता है कि पढ़ाई कैसी होती होगी. ग्रामीणों ने बताया कि हाइस्कूल में अपग्रेड किये जाने के बाद से ही यहां शिक्षकों की कमी है. शुरुआती दौर में दो पारा शिक्षक की प्रतिनियुक्त कर स्कूल संचालित किया जा रहा था. फिलहाल एक हिंदी के शिक्षक व एक अर्थशास्त्र की शिक्षिका पदस्थापित हैं. कक्षा पहली से पांचवीं तक के लिए एक शिक्षक व कक्षा षष्ठ से अष्टम तक के लिए एक शिक्षक पदस्थापित हैं. कक्षा पहली से दसवीं तक यहां 142 बच्चे नामांकित हैं. बच्चों के लिए आइसीटी लैब तो है. पर सिखाने के लिए इंस्ट्रक्टर नहीं रहने से कई महीने से कंप्यूटर भी बेकार पड़े हैं. यहां बच्चों को कंप्यूटर सिखाने के लिए प्रतिनियुक्त इंस्ट्रक्टर ने स्कूल आना बंद कर दिया है. हाइस्कूल के लिए अलग भवन है. मिडिल स्कूल के लिए अलग भवन है. पर शिक्षकों की कमी के चलते फिलहाल हाइस्कूल के भवन में ही सभी बच्चों को बैठाकर कक्षा संचालित की जा रही है. स्कूल में विषयवार शिक्षकों की बहाली की मांग ग्रामीणों व अभिभावकों द्वारा लंबे समय से किया जा रहा है. संपन्न परिवार के बच्चे या तो प्राइवेट स्कूल में दाखिला लिया है या पश्चिम बंगाल के स्कूल में दाखिला लिया है. गरीब परिवार या अति साधारण परिवार के बच्चों को ही मजबूरन उनके अभिभावकों ने यहां भर्ती करा रखा है. क्या कहते हैं अभिभावक शिक्षकों की घोर कमी है. पदस्थापित करने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए. गांव व आसपास के गांवों से बहुत सारे बच्चे पढ़ते के लिए पश्चिम बंगाल के हाइस्कूल में दाखिला ले रहे हैं. राणाबंध हाइस्कूल में विषयवार शिक्षक नहीं हैं. ज्योत्स्ना रामदास राणाबांध मिडिल स्कूल को हाइस्कूल में अपग्रेड करने के समय ही यहां शिक्षकों की पदस्थापना के लिए विभाग को पहल करनी चाहिए थी. गरीब परिवार के बच्चे ही दाखिला लेते हैं. घर पर बच्चों को ट्यूशन नहीं देने से परेशानी होती है. नयन रामदास हाइस्कूल व मिडिल स्कूल स्तर पर शिक्षक पदस्थापित किये जाने से बच्चों की संख्या बढ़ेगा. हम अभिभावकों ने मिलकर आसपास के गांवों के सभी बच्चों को यहां दाखिला दिलाने का प्रयास करेंगे. विषयवार शिक्षक नहीं होने से परेशानी है. पलटन हेंब्रम ग्रामीणों द्वारा लंबे समय से मांग करने पर वर्ष 2013 में हाईस्कूल की स्वीकृति मिली है. भवन तो बना दिया गया पर शिक्षकों की कमी बरकरार रह गयी. शिक्षकों की कमी दूर करना चाहिए. इसके लिए शिक्षा विभाग को पहल करनी चाहिए. शंभू रामदास राणाबांध स्कूल में शिक्षकों की कमी के चलते हम अपने दो पोता पोती को पढ़ने के लिए पश्चिम बंगाल के कापिस्टा हाइस्कूल में दाखिला कराये हैं. शिक्षक रहते तो बाहर नहीं भेजते. साइकिल से 15 किलोमीटर आना जाना करना पड़ता है. वेणीमाधव गोराई हरिपुर पंचायत का राणाबांध एकमात्र हाइस्कूल है. पर यहां शिक्षकों की कमी के चलते बच्चे आसनबनी व पश्चिम बंगाल के हाइस्कूल पढ़ने चला जाता है. शिक्षक पदस्थापित किये जाने पर बच्चे पढ़ने के लिए बाहर नहीं जायेगा. कृष्ण रामदास गांव में स्कूल रहते हुए भी बच्चों को पढ़ने के लिए बाहर जाने से गर्मी व बरसात के मौसम में परेशानी झेलनी पड़ती है. साइकिल से दूर के स्कूल आना जाना करने से बच्चे थक जाते हैं. इससे पढ़ाई पर भी प्रभाव पड़ता है. पहल होनी चाहिए. बच्चन रामदास कोट स्कूल प्रबंधन समिति की बैठक में शिक्षक पदस्थापित करने को लेकर चर्चा की जाती है. शिक्षक पदस्थापित करने के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराया जायेगा. मिडिल स्कूल व हाइस्कूल दोनों के लिए शिक्षकों की आवश्यकता है. वहीं आईसीटी लैब के लिए इंस्ट्रेक्टर का भी आवश्यकता है. विष्णु रामदास, अध्यक्ष एसएमसी

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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