रामगढ़. साइबर अपराध आधुनिक युग की सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक बन चुका है. तकनीक के विकास के साथ-साथ साइबर अपराध भी तेजी से बढ़ रहा है. अपराधी इंटरनेट का दुरुपयोग कर न केवल आर्थिक धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे हैं, बल्कि कई अन्य घातक अपराधों को भी अंजाम दे रहे हैं. चाइल्ड पोर्नोग्राफी, सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक और अश्लील सामग्री का प्रसारण, डिजिटल ठगी, ब्लैकमेलिंग और डीप फेक वीडियो जैसे अपराध साइबर अपराध के अंतर्गत आते हैं. इन्हीं बढ़ते साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से रामगढ़ प्रखंड के कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में प्रभात संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में विशेष रूप से मैट्रिक और इंटर की छात्राओं ने भाग लिया. संवाद के दौरान रामगढ़ थाना प्रभारी मनीष कुमार ने छात्राओं को साइबर अपराधों, उनके विभिन्न तरीकों और इनसे बचाव के उपायों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अत्याधुनिक तकनीक के कारण अपराधी नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को ठग रहे हैं. उन्होंने साइबर अपराध के विभिन्न रूपों की जानकारी देते हुए कहा कि इंटरनेट बैंकिंग धोखाधड़ी, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, अश्लील वीडियो अपलोड करना, सोशल मीडिया अकाउंट हैक करना, डिजिटल अरेस्ट, डीप फेक वीडियो बनाकर वायरल करना, ब्लैकमेलिंग और फर्जी एप के माध्यम से लोगों को ठगने जैसी घटनाएं आम होती जा रही हैं. इन अपराधों से बचने के लिए सतर्कता बेहद जरूरी है. उन्होंने ऑनलाइन बैंकिंग में सावधानी बरतने की सलाह देते हुए कहा कि किसी को भी अपना ओटीपी, एटीएम पिन, नेट बैंकिंग पासवर्ड या अन्य गोपनीय जानकारी साझा न करें. कोई भी बैंक, बीमा कंपनी, टेलीकॉम विभाग या सरकारी एजेंसी फोन कॉल या मैसेज के माध्यम से पासवर्ड नहीं मांगती. यदि इस तरह की कॉल या मैसेज प्राप्त हो तो उसे नजरअंदाज करें और किसी लालच या डर में न आएं. उन्होंने यह भी बताया कि यदि किसी अनजान नंबर से कॉल आए या सोशल मीडिया पर संदिग्ध लिंक मिले, तो उसे क्लिक न करें. कोई भी अज्ञात एप डाउनलोड करने से पहले उसकी सत्यता जांच लें. यदि कोई साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो जाए तो तुरंत 1930 हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत दर्ज कराएं या cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें. इसके अलावा, उन्होंने झारखंड पुलिस द्वारा विकसित प्रतिबिंब एप के बारे में जानकारी दी, जिसके माध्यम से साइबर अपराधों की निगरानी की जा रही है. उन्होंने छात्राओं से आग्रह किया कि वे अपने परिवार, रिश्तेदारों और आस-पड़ोस के लोगों को भी साइबर अपराध से बचाव के प्रति जागरूक करें. संवाद सत्र के दौरान छात्राओं ने खुलकर अपने विचार व्यक्त किए और साइबर अपराध से संबंधित सवाल पूछे. डीप फेक वीडियो और डिजिटल अरेस्ट जैसे जटिल विषयों पर भी चर्चा हुई, जिनका थाना प्रभारी ने धैर्यपूर्वक उत्तर दिया. इस कार्यक्रम में विद्यालय की प्रभारी वार्डन निशा भारती, शिक्षिका मधु कोटरीवाल, मीनू मिनौती मुर्मू और संजीव रजक भी उपस्थित थे. साइबर अपराध से बचाव के लिए सबसे जरूरी है सतर्कता और जागरूकता. इंटरनेट का उपयोग करते समय सावधानी बरतें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत शिकायत करें, ताकि इन अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सके.
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