दुमका : सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के रजत जयंती पर पॉपुलर लेक्चर सीरीज के तहत चौथे व्याख्यान का आयोजन दिग्घी के मिनी काॅन्फ्रेंस हॉल में किया गया, जिसका उदघाटन कुलपति प्रो डॉ कमर अहसन ने किया. पटना के खुदा बक्श लाइब्रेरी के पूर्व निदेशक डॉ इम्तियाज अहमद ने मुगल शासन की विरासत विशेष कर झारखंड के संदर्भ में विषय पर अपना व्याख्यान दिया. उन्होंने कला संस्कृति भाषा एवं जीवन शैली पर उसके प्रभाव को विस्तार से बतलाया.
उन्होंने मुगल शासन के दौरान उस वक्त राजनीतिक, आर्थिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था पर पड़े प्रभाव पर भी चर्चा की. झारखंड के संदर्भ में उन्होंने कहा कि बृहत झारखंड की परिकल्पना मुगलकालीन है. उन्होंने यह भी बताया कि औरंगजेब की मृत्यु के बाद प्लासी की लड़ाई के उपरांत मुगलों की हैसियत में कमी आयी थी और 1765 में इस्ट इंडिया कंपनी के दीवानी की प्राप्ति के साथ ब्रिटिश हुकूमत की गतिविधियां बढ़ी थी.
मुगल शासन और अंग्रेजी हुकूमत की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शासन के दौरान जन असंतोष की परिस्थितियां तैयार हुई थी. यही वजह है कि भारत में मुगल ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ झारखंड के तात्कालिक क्षेत्र में कई आंदोलन हुए और इसका उत्कर्ष सिपाही विद्रोह के रूप में हुआ. उन्होंने मुगलों के शासन के अनेक पहलुओं जैसे सैन्य व्यवस्था, न्याय व्यवस्था, श्रम कानून, सामंती व्यवस्था आदि के संदर्भ में भी पर्याप्त रौशनी डाली. मौके पर मगध विवि के प्रो विमल प्रसाद सिंह विशिष्ट अथिति के रूप में उपस्थित थे. विभिन्न विभागों के अध्यक्ष, शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं ने इस व्याख्यान में भाग लिया. व्याख्यान की अध्यक्षता एसपी कॉलेज के प्राचार्य डॉ जे दास ने की. इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ वायपी राय, डॉ गगन कुमार ठाकुर, डॉ पीके राय, डॉ एलके पांडेय, प्रो प्रशांत, डॉ पीपी सिंह, डॉ टीपी सिंह, डॉ बीके ठाकुर, डॉ अमरनाथ झा, डॉ संजीव कुमार, प्रो इंद्रनील मंडल, प्रो स्नेहलता, सुमित्रा हेंब्रम, डॉ पूनम बिंझा, डॉ केबी टोप्पो, डॉ ईश्वर मरांडी आदि मौजूद थे. मंच संचालन कार्यक्रम के संयोजक डॉ अजय सिन्हा द्वारा किया गया.