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सातवीं पारी के लिए मैदान में उतरे हुए नलिन सोरेन का वर्चस्व तोड़ना चुनौती, जानें शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र का लेखा-जोखा

आनंद जायसवाल कुल वोटर 204051 पुरुष वोटर 101473 महिला वोटर 102578 दुमका : शिकारीपाड़ा विधानसभा झारखंड के दुमका जिला और पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले की सीमा पर अवस्थित है. 1952 में शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया, हालांकि पहले, दूसरे और तीसरे विधानसभा के चुनाव में इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति में बदलाव होता […]

आनंद जायसवाल

कुल वोटर

204051

पुरुष वोटर

101473

महिला वोटर

102578

दुमका : शिकारीपाड़ा विधानसभा झारखंड के दुमका जिला और पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले की सीमा पर अवस्थित है. 1952 में शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया, हालांकि पहले, दूसरे और तीसरे विधानसभा के चुनाव में इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति में बदलाव होता रहा.

1952 के पहले चुनाव में अजजा के लिए सुरक्षित शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र से जयपाल सिंह की झारखंड पार्टी के टिकट पर विलियम हेम्ब्रम निर्वाचित हुए थे. 1967 के चुनाव में शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र से जुड़े गोपीकांदर को काट कर लिट्टीपाड़ा में मिला दिया गया. इस चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर बरियार दूसरी बार विधायक बने.

1969 के चुनाव में झारखंड पार्टी समर्थित निर्दलीय चढरा मुर्मू निर्वाचित हुए, तो 1972 में झारखंड पार्टी से ही शिबू मुर्मू को जीत मिली. 1977 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति का असर इस क्षेत्र पर भी पर भी पड़ा, तब जनता पार्टी के चुनाव-चिह्न पर बाबूलाल किस्कू ने सफलता हासिल की. लेकिन 1979 में बाबूलाल किस्कू के असामयिक निधन पर 1980 के लोकसभा चुनाव के साथ हुए विधानसभा उप चुनाव में झामुमो के टिकट पर डेविड मुर्मू निर्वाचित हुए. 1980 व 1985 में भी डेविड की जीत हुई.

झामुमो ने 1990 में डेविड मुर्मू का टिकट काट कर पहली बार नलिन सोरेन को प्रत्याशी बनाया. इस चुनाव में जब नलिन निर्वाचित हुए तो तब से अब तक लगातार इस सीट पर कब्जा बरकरार है.1990, 1995,2000, 2005, 2009 और 2014 के चुनाव में अपने विरोधियों को धूल चटाने में सफल रहे थे. इलाके के लिए नक्सलवाद अब भी बड़ी चुनौती है.

तीन महत्वपूर्ण कार्य जो हुए

1. ग्रामीण क्षेत्र में कई सड़कें बनीं

2. सिंचाई परियोजनाओं का जीर्णोद्धार किया गया

3. गांवों तक बिजली पहुंचायी गयी

तीन महत्वपूर्ण कार्य जो नहीं हुए

1. कई गांवों में पेयजल संकट

2. मॉडल कॉलेज नहीं खुल सका

3. मलूटी का विकास नहीं हुआ

काम किया, ध्यान दिया : नलिन

नलिन सोरेन ने कहा कि उन्होंने क्षेत्र की जो बुनियादी जरूरतें थी, उस पर हमेशा ही ध्यान दिया. यही वजह थी कि जनता ने हर बार उन्हें चुना. जन अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास किया है, जो काम नहीं हो सके, जनता के आशीर्वाद से इस बार पूरा करेंगे.

विकास नहीं किया: पारितोष

पिछले चुनाव में जेवीएम से किस्मत आजमाने वाले पारितोष इस बार भाजपा से प्रत्याशी हैं. उनका कहना है कि झामुमो ने क्षेत्र से आठ बार आम चुनाव व एक बार उप चुनाव में जीता. इस क्षेत्र में झामुमो को अवसर मिला, पर विकास का कोई काम नहीं हुआ.

2005

जीते : नलिन सोरेन, झामुमो

प्राप्त मत : 27723

हारे : राजा मरांडी, जदयू

प्राप्त मत : 24641

तीसरा स्थान : डेविड मुरमू, आजसू

प्राप्त मत : 18522

2009

जीते : नलिन सोरेन, झामुमो

प्राप्त मत : 30474

हारे : पारितोष सोरेन, झाविमो

प्राप्त मत : 29471

तीसरा स्थान : राजा मरांडी, जदयू

प्राप्त मत : 29009

2014

जीते : नलिन सोरेन, झामुमो

प्राप्त मत : 61901

हारे : पारितोष सोरेन, झाविमो

प्राप्त मत : 37400

तीसरा स्थान : शिवधन मुरमू, लोजपा

प्राप्त मत : 21010

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