आनंद जायसवाल
दुमका : झारखंडकी उपराजधानी दुमका से करीब 43 किलोमीटर दूर शिकारीपारा में रविवार को झारखंड पुलिस और सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) के जवानों ने 10 लाख रुपये के इनामी दुर्दांत नक्सली सहदेव राय उर्फ ताला दा को मार गिराया. जिस जगह मुठभेड़ हुई, वहां से पुलिस को एक इन्सास और एक एके-47 राइफल मिले हैं. एसपी वाइएस रमेश ने बताया कि कई जगहों पर खून के धब्बे मिले हैं. उनकी जांच की जा रही है. सर्च ऑपरेशन जारी है. एसपी ने बताया कि कुछ नक्सलियों के घायल होने का भी अनुमान है.
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एसपी ने बताया कि संताल परगना क्षेत्र में भाकपा माओवादी का सबसे बड़ा नेता ताला दा काठीकुंड के बड़ा सरुआपानी का रहने वाला था. उसके पिता बद्री ने ही क्षेत्र में नक्सलवाद की शुरुआत की. उसका भाई राम लाल राय जेल में बंद है. राम लाल के जेल जाने के बाद ताला नक्सली गतिविधियों में शामिल हुआ था. ताला दा के खात्मे को पुलिस बहुत बड़ी सफलता मान रही है.

श्री रमेश ने बताया कि ताला दा पर 50 से अधिक मामले दर्ज हैं. उन्होंने बताया कि क्षेत्र में नक्सलियों के छिपे होने की सूचना मिली थी. खबर थी कि नक्सली किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए क्षेत्र में एकत्र हुए हैं. इसी सूचना के आधार पर एडिशनल एसपी, एसएसबी के आइसी और डिप्टी कमांडेंट के नेतृत्व में जवानों को सर्च ऑपरेशन के लिए भेजा गया था. एसपी ने कहा कि नक्सलियों के इस दस्ते में दो-तीन महिला भी हैं.

पुलिस ने बताया कि नक्सली गतिविधियों की गुप्त सूचना केबाद पुलिस और एसएसबी के संयुक्त दल ने शनिवार देर रात शिकारीपारा थाना क्षेत्र के छातुपाड़ा में ऑपरेशन शुरू किया. इसी दौरान उनका नक्सली गुट से सामना हो गया. दोनों ओर से जमकर फायरिंग हुई, जिसमें भाकपा माओवादी का यह दुर्दांत नक्सली मारा गया. सहदेव राय उर्फ ताला दा ने ही पाकुड़ के एसपी अमरजीत बलिहार को साढ़े पांच साल पहले मार डाला था.

ताला दा के मारे जाने के बाद जान बचाकर अलग-अलग दिशाओं में भागे एक दर्जन से अधिक नक्सलियों की तलाश में पुलिस जुट गयी है. इनकी तलाश में पुलिस की टीमों को भी अलग-अलग दिशा में भेजा गया है. घटनास्थल पर भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद है. एसपी वाइएस रमेश और संथाल परगना के डीआइजी राज कुमार लकड़ा घटनास्थल पर कैंप कर रहे हैं.

पुलिस ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी है. सर्च ऑपरेशनजारीहै. संथाल परगना क्षेत्र के डीआइजी आरके लकड़ाकेअलावा एसडीएम राकेश कुमार और एसडीपीओपूज्यप्रकाश सुबह ही शिकारीपारा थाना पहुंच गये थे.

पुलिस ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी है. सर्च ऑपरेशन जारी है. संथाल परगना क्षेत्र के डीआइजी आरके लकड़ा के अलावा एसडीओ और डीएसपी सुबह ही शिकारीपारा थाना पहुंच गये थे. यहां से डीआइजी लकड़ा मुठभेड़ स्थल के लिए कूच कर चुके हैं. पुलिस और नक्सलियों का आमना-सामना दुमका जिला मुख्यालय से करीब 43 किलोमीटर दूर स्थित शिकारीपाड़ा में हुआ. शिकारीपाड़ा झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों में आता है.
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2 जुलाई, 2013 को नक्सलियों ने कर दी थी एसपी बलिहार की हत्या
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि 2 जुलाई, 2013 को दुमका-पाकुड़ मार्ग पर काठीकुंड के अमतल्ला के पास हुई पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार एवं उनके पांच अंगरक्षकों को भाकपा माओवादियों ने मार डाला था. बलिहार दुमका में डीआइजी की बैठक में भाग लेने के बाद लौट रहे थे. काठीकुंड से दो-तीन किमी आगे बढ़ने के बाद ही एक नवनिर्मित पुलिया के पास उछाल की वजह से जैसे ही पाकुड़ एसपी की स्कॉर्पियो धीमी हुई थी, घात लगाकर बैठे सशस्त्र नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. एसपी के अंगरक्षकों की वहीं मौत हो गयी.

नक्सलियों से घिरने के बाद भी एसपी बलिहार ने उनका सामना करने का भरपूर प्रयास किया था, पर भारी संख्या में मौजूद नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की. फलस्वरूप बलिहार ज्यादा देर तक उनका मुकाबला नहीं कर सके और नक्सलियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गये.

एसपी बलिहार एवं उनके पांच अंगरक्षकों की हत्या के मामले में दुमका जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ मो तौफीक-उल हसन की अदालत ने 26 सितंबर, 2018 को दो नक्सलियों प्रवीर दा उर्फ सुखलाल एवं सनातन बास्की उर्फ ताला दा को फांसी की सजा सुनायी थी. प्रवीर दा गिरिडीह जिले के पीरटांड़ के बरवाडीह का रहने वाला है, जबकि सनातन बास्की उर्फ ताला दा दुमका जिला के काठीकुंड प्रखंड के चिरुडीह का.