बासुकिनाथ : पति की दीर्घायु होने की कामना के साथ मंगलवार को नव विवाहिताओं का पर्व मधु श्रावणी मंगलगीत के साथ संपन्न हो गया. इस पर्व को दो सप्ताह तक नवविवाहिताओं द्वारा पूरे नेम-निष्ठा के साथ मनाया गया. शिव-पार्वती की कथा व पारंपरिक गीत के बीच गज-गौरी, नाग-नागीन सहित अनेक देवी-देवताओं की आराधना की गयी. इस दौरान गांव टोले और गली-मोहल्ले पारंपरिक देवी गीतों से गूंज उठी. इस पूजा में वर पक्ष की ओर से कन्या पक्ष के घर पूजन की सामग्री भेजी गयी. यह पर्व श्रावण कृष्ण पक्ष की पंचमी से शुरू हुआ तथा शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को संपन्न हुआ. प्रत्येक दिन के पूजन का अलग-अलग विधान थे.
हर दिन कथा व गीत गाये गये. कथा समाप्ति के पश्चात सुहागिनों को सुहाग किट बांटी गयी. किट में मेहंदी, सिंदूर, लहठी और नया वस्त्र होता है. मधुश्रावणी के पूजा में दूध व लावा का विशेष महत्व होता है. मधु श्रावणी पर विशेष समारोह का आयोजन किया गया. वर पक्ष की और से नया वस्त्र व तरह-तरह की मिठाइयां दी गयी. मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत काल में कौरव एवं पांडव को यह शिक्षा दी थी कि जो सुहागिन महिला नदी के बीच धार की मिट्टी से गौरी -महादेव की प्रतिमा बनाकर पूजन करेगी, उसका दांपत्य जीवन में सुखमय व धनधान्य से परिपूर्ण होगा. कुंती व गंधारी ने सर्वप्रथम गज-गौरी की पूजन की थी. सुहागिन महिलाओं ने एक दूसरे को सिंंदूर पहनाया. मंदिर में नवविवाहिता जोड़े की भीड़ रही.