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परती जमीन पर सब्जी की खेती से संवार रहे जिंदगी

अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्राेत बने हैं आदिवासी युवक टमाटर व फूलगोभी की खेती से लाखों का हो रहा मुनाफा रानीश्वर : रानीश्वर प्रखंड के सालतोला गांव के दो आदिवासी युवक परती जमीन लेकर सब्जी खेती कर साल में लाखों का आमदनी कर रहे हैं. गांव के हाकिम टुडू व नायका हांसदा सात-आठ वर्ष से […]

अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्राेत बने हैं आदिवासी युवक

टमाटर व फूलगोभी की खेती से लाखों का हो रहा मुनाफा
रानीश्वर : रानीश्वर प्रखंड के सालतोला गांव के दो आदिवासी युवक परती जमीन लेकर सब्जी खेती कर साल में लाखों का आमदनी कर रहे हैं. गांव के हाकिम टुडू व नायका हांसदा सात-आठ वर्ष से गांव के पास खेती कर रहे हैं. दोनों युवा सब्जी की खेती से न सिर्फ अपनी जिंदगी संवार रहे, बल्कि अन्य किसानों के लिए प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं. समय से पहले ही सब्जी उत्पादन कर बाजार में बेचने पर उन्हें ज्यादा दाम भी मिल जाता है. खेतों में टमाटम, फूलगोभी, पत्तागोभी, मूली, पालक आदि लहलहा रहे हैं. दोनों ने कद्दू, करेला, भिंडी आदि के उत्पादन की तैयारी में भी शुरू कर दी है. इस साल बरसात के समय ग्रीन हाउस से टमाटम व गोभी का पौधा तैयार कर पहले ही टमाटर उपजाया. अच्छा मुनाफा कमाया है. बताया कि बरसात के समय करेला बेच कर दोनों 50-50 की आमदनी की थी.
निजी व्यवस्था पर कर रहे खेती, विभाग से मदद नहीं : बताया कृषि विभाग से मदद मिले तो वृहद पैमाने पर खेती की जा सकती है. डेढ़ किलोमीटर दूर सालतोला स्वास्थ्य उपकेंद्र के पास रानीबांध बड़ा तालाब है. वहां पंपिंग सेट लगा कर पाइप व नाली खोद कर खेतों में पानी पहुंचा रहे हैं. इन्हें न तो कृषि विभाग से और न ही आत्मा की ओर से सहयोग मिला है. मोटर, पावर टीलर जैसे उपकरण भी खुद ही खरीदते हैं. हाकिम एक किसान मित्र भी है. उनकी अपनी जमीन नहीं है. सात बीघा जमीन दूसरे से लीज पर लेकर खेती कर रहे हैं. नायका की कुछ अपनी जमीन है तथा वह भी लीज पर जमीन लेकर खेती कर रहा है.
गांव के पास परती जमीन थी. बरसात के समय किसी तरह एक बार धान की खेती होती थी. अच्छी बारिश नहीं होने के कारण फसल मर गयी थी. उसी जमीन को लीज पर लेकर सब्जी खेती की शुरुआत की. अच्छी ही आमदनी होती है. इसके लिए किसी का खुशामद भी नहीं करना पड़ता है. मेरी अपनी जमीन नहीं है. लीज पर जमीन लेकर खेती कर रहे हैं.
हाकिम टुडू
अपनी कुछ जमीन है. कुछ लीज पर भी जमीन लेकर सब्जी खेती कर रहे हैं. दोनों अगल-बगल में खेती कर रहे हैं. देखभाल करने में भी सुविधा होती है. खेती के लिए किसी भी स्तर से सरकारी सहायता नहीं मिली है. यहां कृषि विभाग के अधिकारी भी नहीं पहुंचते हैं. सरकारी स्तर पर बीज व कृषि यंत्र मिले तो वृहद पैमाने पर खेती कर सकते हैं.
नायका हांसदा, किसान

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