आइआइटी आइएसएम के पर्यावरण विज्ञान एवं अभियांत्रिकी विभाग की ओर से नई दिल्ली स्थित ओखला सेंटर में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला बुधवार से शुरू हो गयी. उद्घाटन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. ओपी. मिश्रा, जल शक्ति मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार प्रो. दीपांकर शाहा तथा विभाग के प्राध्यापक एवं कार्यशाला संयोजक प्रो. प्रसून कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से किया.
प्रशिक्षण में देश की प्रतिष्ठित खनन और औद्योगिक कंपनियों ईसीएल, डब्लूसीएल, सीएमपीडीआईएल, एमसीएल, बीसीसीएल और बिरला कॉर्पोरेशन लिमिटेड से जुड़े सह प्रबंधक और प्रबंधक भाग ले रहे हैं. कार्यशाला में आइआइटी आइएसएम धनबाद, आइआइटी दिल्ली, जेएनयू, फिक्की, केंद्रीय भूमि जल बोर्ड और केंद्रीय भूजल प्राधिकरण से जुड़े वैज्ञानिक व विशेषज्ञ “खनन एवं औद्योगिक क्षेत्रों में पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु भूजल संसाधन प्रबंधन एवं जल-भूमि विज्ञान अध्ययन” विषय पर व्याख्यान देंगे.सतत विकास के लिए भूमिगत जल संरक्षण अत्यंत आवश्यक
मुख्य अतिथि डॉ ओपी मिश्रा ने कहा कि सतत विकास के लिए भूमिगत जल संरक्षण अत्यंत आवश्यक है. प्रो. दीपांकर शाहा ने भूमि जल दोहन से बचाव और पर्यावरणीय प्रभाव आकलन के महत्व पर जोर दिया. कार्यशाला का संचालन शोधार्थी ममता और रितेश रंजन ने किया, धन्यवाद ज्ञापन शिल्पी कुमारी ने प्रस्तुत किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

