Dhanbad News : सात सितंबर को अगस्त्य तर्पण होगा, जबकि आठ सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है. पितृ पक्ष में पितरों के नाम से नदी व तालाबों में तर्पण किया जाता है, लेकिन कोयलांचल के तालाब गंदगी से पटे हैं. ऐसी स्थिति में इन तालाबों में तर्पण कैसे किया जायेगा. शहर के बेकारबांध, रानीबांध, राजा तालाब, विकास नगर छठ तालाब, मटकुरिया छठ तालाब, कोयला नगर तालाब गंदगी से पटे हैं. कहीं जलकुंभी तो कहीं प्रतिमा विसर्जन का कचरा पानी में तैर रहा है. बेकारबांध में पानी साफ है, लेकिन यहां घाट की सीढियां काफी ऊंची हैं. राजा तालाब में पानी में उतरने का रास्ता ही नहीं है. इन तालाबों की सिर्फ कार्तिक माह में होनेवाले छठ महापर्व में साफ-सफाई होती है. ऐसे में पितृ पक्ष में पितरों के तर्पण के लिए घरों में ही व्यवस्था की जा रही है. दामोदर नदी में भी लोग तर्पण करने के लिए जाते हैं.
इस बार 14 दिनों का है पितृ पक्ष :
सनातन धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है. पितृपक्ष आश्विन माह की प्रतिपदा से शुरू होता है, जो अमावस्या तक चलता है. पंडित गुणानंद झा ने बताया कि सात सितंबर को अगस्त्य तर्पण है. वहीं आठ सितंबर से पितृपक्ष शुरू होगा. इस बार पितृ पक्ष 14 दिनों का है. नवमी व दशमी तिथि एक ही दिन है. एक तिथि का क्षय है. पितृ पक्ष का समापन 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा. पितृपक्ष के समय पूर्वजों को याद करने व उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण व पिंडदान जैसे कर्मकांड किये जाते हैं. मान्यता है कि इस दौरान दान-पुण्य करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और पितृ दोष खत्म होता है. जिन पितरों के बच्चे पितृ पक्ष में तर्पण नहीं करते हैं. उन्हें निराशा होती है. इससे परिवार में विघ्न बाधा आती है.ऐसे करें तर्पण :
पितरों का तर्पण तिल, कुश मिले जल से करना चाहिए. हाथ को उल्टा कर अंगूठा व तर्जनी अंगुली के बीच से पूर्वज का नाम-गौत्र लेकर पुरुषों के लिए ‘सतिलम जलम तस्मै स्वाधा’ तीन बार कहते हुई तर्पण करें. महिलाओं के लिए ‘सतिलम जलम तस्यै स्वाधा’ तीन बार कहते हुए तर्पण करें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

