धनबाद.
इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम व आखिरी महीना जिलहिज्ज होता है. इमाम मुफ्ती मोहम्मद शाहकार आलम कासमी ने बताया कि इस्लाम के चार पवित्र महीनों में से एक मुहर्रम का महीना है. इस्लाम को मानने वाले लोग इस माह खुदा की इबादत करते हैं. इस बार मुहर्रम की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति है. इस्लामी कैलेंडर को चंद्र या हिजरी कैलेंडर भी कहा जाता है.12 चंद्र महीनों पर आधारित होता है इस्लामी कैलेंडर
इस्लामी कैलेंडर 12 चंद्र महीनों पर आधारित होता है. चांद के दिखने पर ही नये महीने की शुरुआत होती है. पहला महीना मुहर्रम का होता है. मुहर्रम में आशूरा का दिन सबसे अहम है और वह चांद दिखने के 10वें दिन यानी 10 तारीख को होता है. इसी दिन मोहर्रम मनाया जाता है. इस साल मोहर्रम सात जुलाई को होगा. चांद दिखने की ज्यादा उम्मीद 27 जून को है. इस्लामिक कैंलेडर के अनुसार अभी आखिरी जिलहिज्ज का महीना चल रहा है. इसके बाद पहला माह मुहर्रम शुरू होगा. अगर जिलहिज्ज का महीना 29 दिन का हुआ, तो 26 तारीख को भी चांद दिख सकता है. यह महीना इस्लाम में बड़ी-बड़ी शहादत व कुर्बानी के लिए याद किया जाता है. इस्लामी हुकूमत के दूसरे बड़े राजा हजरत उमर फारुक की शहादत इसी माह की पहली तारीख को हुई थी. हजरत मुहम्मद साहब के नाती हजरत हुसैन की शहादत का किस्सा भी करबला के मैदान में इसी मुहर्रम की 10 तारीख को पेश आया था.
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