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Dhanbad News: एसएनएमएमसीएच : पहली बार शुरू होगा पीएमआर विभाग

शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) में अब मरीजों को पुनर्वास चिकित्सा, फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (पीएमआर) की सुविधा मिलेगी.

स्ट्रोक, दुर्घटना पीड़ितों के इलाज में होगी सहूलियतमुख्यालय स्तर पर असिस्टेंट प्रोफेसर की हुई नियुक्ति

मेडिकल छात्रों को भी मिलेगा रिसर्च व प्रैक्टिकल ट्रेनिंग का अवसर

धनबाद.

शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) में अब मरीजों को पुनर्वास चिकित्सा, फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (पीएमआर) की सुविधा मिलेगी. स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग की पहल पर एसएनएमएमसीएच में पहली बार पीएमआर विभाग की स्थापना की जा रही है. इसके लिए विभाग ने एक असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति कर दी है. वहीं स्थान का चयन किया जा रहा है. यह विभाग न केवल अस्पताल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगा, बल्कि धनबाद व आसपास के जिलों के मरीजों के लिए भी बड़ी राहत साबित होगा. उन्हें अब इस सुविधा के लिए रांची, कोलकाता या दूसरे शहरों में नहीं जाना होगा.

क्या है पीएमआर विभाग

फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (पीएमआर) चिकित्सा का वह क्षेत्र है जो मरीजों को बीमारी, दुर्घटना या ऑपरेशन के बाद फिर से सामान्य जीवन जीने में मदद करता है. इसमें फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी व कृत्रिम अंग लगाने जैसी सेवाएं दी जाती हैं. मस्तिष्काघात (स्ट्रोक), रीढ़ की हड्डी की चोट, जोड़ों के दर्द, पैरालिसिस, सड़क दुर्घटना या सर्जरी के बाद जिन मरीजों को चलने-फिरने में कठिनाई होती है, उनके लिए पीएमआर विभाग बेहद उपयोगी साबित होता है.

विभाग में मिलेगी यह सुविधाएं

एसएनएमएमसीएच में बनने वाला पीएमआर विभाग आधुनिक उपकरणों व प्रशिक्षित स्टाफ से लैस होगा. यहां फिजियोथेरेपी और इलेक्ट्रोथेरेपी की सुविधा उपलब्ध रहेगी. स्ट्रोक, पैरालिसिस, ऑर्थोपेडिक और न्यूरोलॉजिकल मरीजों के लिए विशेष रिहैबिलिटेशन प्लान तैयार किये जायेंगे. कृत्रिम अंग और ऑर्थोटिक उपकरण (जैसे बेल्ट, ब्रेस आदि) उपलब्ध कराए जायेंगे. पोस्ट-सर्जिकल और पोस्ट-ट्रॉमा मरीजों को शारीरिक रूप से फिट बनाने के लिए विशेष सत्र आयोजित होंगे. स्पीच व ऑक्यूपेशनल थेरेपी की भी सुविधा मिलेगी.

मील का पत्थर साबित होगा विभाग : अधीक्षक

अस्पताल अधीक्षक डॉ डीके गिंदौरिया ने कहा कि पीएमआर विभाग की शुरुआत अस्पताल के लिए मील का पत्थर साबित होगा. यह न केवल मरीजों के पुनर्वास में मदद करेगा, बल्कि मेडिकल छात्रों को भी इस विषय की पढ़ाई व रिसर्च का अवसर देगा. एमबीबीएस छात्र अब रिहैबिलिटेशन मेडिसिन की व्यावहारिक जानकारी हासिल कर सकेंगे.

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