Dhanbad News: बीसीसीएल : एचइएमएम कार्य में नियमों की अनदेखीDhanbad News: बीसीसीएल के लोदना एरिया अंतर्गत कुजामा हायर्ड पैच-जी में चल रहे एचइएमएम (हैवी अर्थ मूविंग मशीनरी) कार्य को लेकर सतर्कता विभाग ने अनियमितताओं का खुलासा किया है. विभाग ने तकनीकी समिति के सात वरिष्ठ अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. जिन अधिकारियों को नोटिस जारी हुआ है, उनमें धनराज अखारे, कुमार रंजीव, मिथिलेश कुमार, एसए तामले, संजय कुमार अग्रवाल और दिपंकर मैती प्रमुख हैं. इसके साथ ही मामले में कोयला मंत्रालय ने बीसीसीएल के सीएमडी सहित निदेशक मंडल से भी स्पष्टीकरण मांगा है. मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यदि अधिकारियों के पास इस प्रकरण को लेकर कोई उचित तर्क है, तो उसे 19 अगस्त तक प्रस्तुत किया जाये. सूचना के मुताबिक बीसीसीएल सीएमडी ने अपना जवाब मंत्रालय को सौंप भी दिया है.
क्या है मामला
बीसीसीएल के कुजामा पैच-जी में एचइएमएम कार्य एमएस देवप्रभा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया था. एनआइटी संख्या 2020/241 दिनांक 20 जुलाई 2020 के अंतर्गत निविदा जारी कर चार दिसंबर 2020 को कार्य आदेश दिया गया था. यह ठेका करोड़ों रुपये का है.सतर्कता विभाग ने तीन प्रमुख विचलनों का किया है उल्लेख
सीएमपीडीआइएल की स्वीकृति के बिना कार्य : प्रशासनिक नियमों के अनुसार, किसी भी नये खनन कार्य की मात्रा की जांच और सत्यापन सीएमपीडीआइएल द्वारा होना आवश्यक है. यह प्रक्रिया प्रथम प्रशासनिक स्वीकृति से पहले अनिवार्य है, लेकिन जांच में पाया गया कि लोदना क्षेत्र में पहला विचलन बिना सीएमपीडीआइएल जांच के ही शुरू कर दिया गया. इससे नियमों का उल्लंघन हुआ और पारदर्शिता पर सवाल खड़े हुए हैं.तकनीकी समिति की आपत्ति छोटे क्षेत्रों को जोड़ा गया
तकनीकी समिति ने यह भी आपत्ति जतायी कि मौजूदा पैच क्षेत्र के बगल में एक छोटा क्षेत्र बिना किसी बाधा के उपलब्ध था. समिति ने कहा कि यह क्षेत्र इतना छोटा है कि इसके लिए अलग पैच बनाना तकनीकी रूप से संभव नहीं. यदि अलग पैच बनाया भी जाता, तो कोयला दोनों पैचों की बैरियर में फंसा रह जाता. इसलिए दोनों क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने का प्रस्ताव रखा गया. सतर्कता विभाग का कहना है कि इस छोटे क्षेत्र को उस समय प्रस्तावित एमडीओ प्रोजेक्ट में शामिल किया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और प्रशासनिक स्वीकृति के तुरंत बाद नया एनआइटी जारी कर दिया गया.
अनुबंध मूल्य से अधिक विचलन
एनआइटी और टेंडर दस्तावेजों में यह प्रावधान था कि अनुबंध मूल्य में अधिकतम 30 प्रतिशत तक ही विचलन की अनुमति दी जायेगी, लेकिन जांच में पाया गया कि प्रथम विचलन में ही यह सीमा पार कर ली गयी. यह वित्तीय अनियमितता गंभीर मानी जा रही है.
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