झरिया राजा के पुरोहित रहे चक्रवर्ती परिवार के लोग 378 सालों से पूजा करते आ रहे हैं. इस साल भी मनईटांड़ की दुहाटांड़ ब्राह्मण बस्ती स्थित दुर्गा मंदिर में पारंपरिक तरीके से पूजा की जा रही है. चक्रवर्ती परिवार आयोजन करता आ रहा है. वर्तमान में चौथी पीढ़ी पूजा कर रही है. वहीं पांचवीं पीढ़ी सहयोग करती है. चक्रवर्ती परिवार के 10 परिवारों के बीच पूजा के आयोजन की पाली बंटी हुई है. इस साल गौतम चक्रवर्ती और सुभ्रतों चक्रवर्ती पूजा कर रहे है. इन्हीं पर पूजा की पूरी जिम्मेदारी है.
बाघमारा से आते हैं ढाकी
पूजा के लिए ढाकी बाघमारा से बुलाये जाते हैं. परिवार के लोग बताया है कि नवपत्रिका पूजा के साथ पूजा आरंभ हो चुकी है. इसी दिन से भोग लगना शुरू हो गया है. विजयादशमी को प्रतिमा का विसर्जन किया जायेगा. बाघमारा से ढांकी मनायी गयी है. पूजा के लिए के लिए बरारी से बगुला कांत चक्रवर्ती और आमटाल से प्रदीप मुखर्जी आते है.
झरिया राजा के पुरोहित के हैं वंशज
चक्रवर्ती परिवार पश्चिम बंगाल के कटवा के रहनेवाले हैं. उनके परदादा झरिया राजा के पुरोहित थे. झरिया राजा की ओर से उनलोगों को ब्राह्मण टोला की जमीन दान में दी गयी है. कालांतर में परिवार बढ़ा. अब यहां उनके वंशजों के 30 घर हैं. यहीं पर माता का मंडप है. जहां प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जा रही है.प्रतिमा बनाने वाली तीसरी पीढ़ी
दुर्गोत्सव को लेकर यहां माता की प्रतिमा को खास तौर पर बनवाया जाता है. एक ही परिवार यह काम शुरू से करते आ रहा है. पहले पुनू सूत्रधर प्रतिमा गढ़ते थे. अब उनकी तीसरी पीढ़ी माधव सूत्रधर माता की प्रतिमा बनाते हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

