नगर निगम को शहर की सरकार कहा जाता है. शहर के विकास में निगम की अहम भूमिका होती है, लेकिन निगम की कार्यप्रणाली पर ही सवाल उठ रहे हैं. निगम की योजनाएं बनती हैं, टेंडर भी होता है. काम अवार्ड तक भागम भाग रहती है. इसके बाद निगम के अधिकारी सुस्त हो जाते हैं. इस कारण ही नगर निगम की लगभग योजनाएं टाइम एक्सटेंशन पर चल रही है. दूसरी ओर जांच के नाम पर भी खानापूर्ति होती है. जांच के बाद नगर निगम की ओर से नोटिस दिया जाता है लेकिन कार्रवाई शून्य होती है. दो माह के अंतराल में कई नोटिस किये गये लेकिन एक पर भी कार्रवाई नहीं हुई….
सिर्फ चेतावनी, कार्रवाई के नाम पर रिजल्ट शून्य :
नगर निगम में नोटिस पर नोटिस का खेल चल रहा है. कार्रवाई के नाम पर रिजल्ट शून्य है. फरवरी से मार्च तक नगर निगम की ओर से चार बड़ी कार्रवाई की गयी. नोटिस भी भेजा गया. कार्रवाई की चेतावनी भी दी गयी. लेकिन आज तक एक पर भी कार्रवाई नहीं की गयी. इसके पीछे का कारण, जनता सब जानती है. अगर नगर निगम प्रशासन की ओर से ठोस कार्रवाई होती, तो आज शहर के किनारे फुटपाथ दुकानें नहीं होती. वेंडिंग जोन में सड़क का फुटपाथ शिफ्ट होता. नगर निगम की लचर व्यवस्था के कारण शहर में हर तरह जाम की स्थिति है.नगर निगम ने क्या किया
केस स्टडी-1 : छह फरवरी को बिनोद बिहारी चौक, आठ लेन व रांगाटांड़ में बिना नक्शा के बन रहे तीन बिल्डिंग को नोटिस दिया गया. 15 दिनों के अंदर स्वत: बिल्डिंग तोड़ने का आदेश बिल्डिंग ऑनर को दिया गया. 21 फरवरी तक बिल्डिंग नहीं तोड़ने पर सील करने की चेतावनी दी गयी. सात मार्च तक कार्रवाई नहीं की गयी.केस स्टडी -2 :
सरायढेला क्षेत्र के दर्जनों बिल्डिंगों की जांच की गयी. 16 बिल्डिंग ऑनर को नोटिस दिया गया. झारखंड बिल्डिंग बॉयलॉज का हवाला देते हुए कार्रवाई की चेतावनी दी गयी. नोटिस के बाद क्या हुआ न तो अधिकारी कुछ बोलते हैं और न ही कर्मचारी.केस स्टडी-3
11 फरवरी को हटिया में नगर निगम की ओर से अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया. अभियान का नेतृत्व खुद सहायक नगर आयुक्त कर रही थीं. हटिया की पार्किंग में आग की भट्टी जैसी दुकानों को तीन दिनों के अंदर खाली करने का नोटिस दिया गया. एक माह बीतने को हैं, लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.एक्सटेंशन टाइम पर चल रहा निगम की योजनाओं का काम
नगर निगम की लगभग सभी योजनाएं एक्सटेंशन ऑफ टाइम पर चल रहीं हैं. कुछ योजनाओं का प्राक्कलन बढ़ाया गया है, तो कुछ का टाइम एक्सटेंशन हुआ. नगर निगम की लगभग एक दर्जन योजनाओं के काम की अवधि पूरी गयी है. लेकिन इनका काम 40 से 70 फीसदी ही काम हुआ है. इन योजनाओं को एक्सटेंशन पर एक्सटेंशन दिया जा रहा है. सवाल उठ रहा है कि आखिर नगर निगम को एक्सटेंशन व रिवाइज प्राक्कलन की क्यों जरूरत पड़ती है. कहीं इस खेल में नगर निगम के अधिकारी व संवेदकों की मिली भगत तो नहीं. नगर निगम बिल्डिंग के लिए दो बार एक्सटेंशन मिल चुका है. अब इसका प्राक्कलन बढ़ाया गया. प्रशासनिक स्वीकृति के लिए रांची फाइल भेजी गयी है. इसके अलावा एक्सटेंशन ऑफ टाइम के लिए भी लिखा गया है. द डीएमसी मॉल का भी प्राक्कलन बढ़ाया गया है. प्रशासनिक स्वीकृति के लिए रांची फाइल भेजी गयी है. लोको टैंक के लिए रिवाइज प्राक्कलन के साथ टाइम एक्सटेंशन के लिए लिखा गया है. बरमसिया तालाब, बरमसिया प्ले ग्राउंड, तेलीपाड़ा प्ले ग्राउंड, पतराकुली प्ले ग्राउंड व राजा तालाब के लिए टाइम एक्सटेंशन के लिए लिखा गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है