सुहागिनों के लिए महत्वपूर्ण व पावन व्रत करवा चौथ 10 अक्तूबर को मनाया जायेगा. कार्तिक मास कृष्णपक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. सनातन धर्म के शास्त्रों में इसे करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. पंडाबी व मारवाड़ी समाज में विशेष रूप से करवा चौथ का व्रत किया जाता है. करवा चौथ को लेकर नवव्याहता से लेकर बुजुर्ग महिलाओं तक में उत्साह का माहौल है. नवव्याहताएं अपने पहले चौथ को लेकर तैयारी कर रही हैं. नौ अक्तूबर की रात्रि में सरगी करेंगी. व्रत के दिन निर्जला उपवास रहकर संध्या में 16 शृंगार कर चौथ महारानी की पूजा कर करवा फेरेंगी. चौथ महारानी की कथा सुनेंगी. चंद्रोदय पर दंद्रदेव को अर्घ्य अर्पित कर पति के हाथों जलपान कर उपवास खोलेंगी.
शक्ति मंदिर में बंटेगी सरगी सामग्री
शक्ति मंदिर में नौ अक्तूबर को सरगी सामग्री कूपन के आधार पर दी जायेगी. सुबह 11.30 बजे से सरगी का वितरण किया जायेगा. 10 अक्तूबर को संध्या पांच बजे से करवा चौथ की पूजा मंदिर के हॉल में कमेटी द्वारा आयोजित की जा रही है. सुहागिनों की संख्या को देखते हुए समूह बनाये जायेंगे.
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