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Thursday, March 28, 2024

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धनबाद की बड़ी आबादी का जीवन खतरे में, ध्यान दें

कोयला उत्खनन कर आबादीवाले क्षेत्रों में ‘ओवर बर्डेन नहीं, मौत के पहाड़’ का मामला कोयला मंत्रालय तक पहुंच गया है. राज्यसभा सदस्य महेश पोद्दार ने इस संबंध में कोयला मंत्री को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने ओबी डंप तथा उससे आम जनमानस को होने वाली परेशानियों से मंत्री को अवगत कराया है

धनबाद : कोयला उत्खनन कर आबादीवाले क्षेत्रों में ‘ओवर बर्डेन नहीं, मौत के पहाड़’ का मामला कोयला मंत्रालय तक पहुंच गया है. राज्यसभा सदस्य महेश पोद्दार ने इस संबंध में कोयला मंत्री को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने ओबी डंप तथा उससे आम जनमानस को होने वाली परेशानियों से मंत्री को अवगत कराया है. उन्हाेंने कोयला राजधानी धनबाद की दुर्दशा और उसे सुधारने को लेकर कई सुझाव भी दिये हैं. सांसद श्री पोद्दार ने प्रभात खबर के 14 जून के अंक के मुख पृष्ठ पर छपी खबर की कतरन को भी पत्र के साथ भेजा है. इस बीच सूचना है कि इस बारे में सांसदाें का एक दल केंद्रीय काेयला मंत्री प्रह्लाद जोशी से भी मिलेगा. संसद के आगामी सत्र में भी इस विषय को प्रमुखता से रखने की भी याेजना है.

सुरक्षा मानकों की अनदेखी : सांसद श्री पोद्दार ने पत्र में लिखा है कि सुरक्षा मानकों का ध्यान रखे बगैर अनियोजित तरीके से आबादी और खनन क्षेत्र के करीब ही ओबी डंप किया जा रहा है. यह जानमाल के लिए काफी खतरनाक है. यहां यह उल्लेख प्रासंगिक होगा कि 29 दिसंबर, 2016 को इस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के राजमहल एरिया की ललमटिया माइंस में ओवर बर्डेन खिसकने से 23 श्रमिकों की मौत हो गयी थी.

संपूर्ण नागरिक सुविधायुक्त शहर विकसित करने पर जोर : सांसद श्री पोद्दार आगे कहा है : भूमिगत आग और भू-धंसान प्रभावित धनबाद के झरिया शहर को पुनर्स्थापित किये जाने का प्रस्ताव है. इस परियोजना का क्रियान्वयन हो भी रहा है, लेकिन यह काम भी वर्तमान केंद्र सरकार और उसके नेतृत्वकर्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच के अनुरूप नहीं हो रहा है.

सांसद श्री पोद्दार ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या हम संपूर्ण नागरिक सुविधायुक्त ऐसा शहर विकसित नहीं कर सकते, जिसमें सभी विस्थापित खुद खुशी-खुशी जाकर बसने को तैयार हो जाएं. यदि वैज्ञानिक प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाया जाये, तो कोयला खदानों के ओवर बर्डेन इस परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

तत्कालीन कोयला मंत्री ने जताया था अफसोस : सांसद श्री पोद्दार ने कहा है कि कुछ वर्ष पहले तत्कालीन कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने धनबाद के कोयला खनन क्षेत्र का सघन दौरा किया था. उसमें मैं भी लगातार साथ था. तब उन्होंने भी अफसोस जाहिर किया था कि जिस शहर/क्षेत्र ने देश को इतनी संपदा दी है, वह खुद इतना गंदा, प्रदूषित और बुरे हाल में है. कुछ दिनों बाद ही एक सर्वे में धनबाद को देश के सबसे गंदे शहरों में शुमार बताया गया था. आज भी शहर की स्थिति लगभग वही है.

  • ओबी डंप पर सांसद महेश पोद्दार ने कोयला मंत्री काे लिखा पत्र

  • कोयला मंत्री से जल्द मिलेगा सांसदों का प्रतिनिधिमंडल

  • बीसीसीएल से जुड़ी हर समस्या की ओर कराया ध्यान आकृष्ट

  • कोयला राजधानी की दुर्दशा सुधारने का किया आग्रह

ठोस कचरा डंप के लिए नहीं मिल रही जमीन : सांसद ने कहा कि धनबाद नगर निगम को ठोस कचरा डंप करने के लिए करीब 50 एकड़ जमीन की जरूरत है. बीसीसीएल के पास हजारों एकड़ जमीन है, लेकिन आग्रह किये जाने के बावजूद धनबाद नगर निगम को जमीन नहीं दी जा रही है. सिदरी खाद कारखाने का संचालन करनेवाले संस्थान हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड के पास भी हजारों एकड़ जमीन उपलब्ध है, लेकिन वह भी जमीन के बदले 600 करोड़ रुपये की मांग कर रहा है. इसलिए ठोस कचरा डंप के लिए बीसीसीएल द्वारा नगर निगम को जमीन मुहैया कराया जाए.

जगह-जगह खड़े हैं ‘ओवर बर्डेन के पहाड़’: सांसद श्री पोद्दार ने पत्र में कहा है कि धनबाद में खुली आंखों से देखा जा सकता है कि पूरे कोयला खनन क्षेत्र में जगह-जगह ओवर बर्डेन के पहाड़ खड़े हो गये हैं. उनकी वजह से जनजीवन कठिन हो गया है. गंदगी और प्रदूषण काफी बढ़ गया है. एक बड़ी आबादी की जान खतरे में है. इस इलाके में कोयला खनन करनेवाली कोल इंडिया की सहायक कंपनी बीसीसीएल ने ओबी डंप करने के क्रम में खान सुरक्षा महानिदेशालय अथवा राज्य के प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के निर्देशों का पालन नहीं किया है. इतना ही नहीं, ओवर बर्डन को उद्यान के रूप में विकसित करने की योजना ठंडे बस्ते में पड़ गयी है.

शहर में जलापूर्ति की योजना भी अधर में : सांसद श्री पोद्दार ने उल्लेख किया है कि पीयूष गोयल जब कोयला मंत्री थे, उस वक्त झारखंड सरकार और कोयला मंत्रालय (बीसीसीएल) के बीच एमओयू हुआ था. करार के मुताबिक कोयला खदानों में जमे पानी (पिट वाटर) को फिल्टर कर शहर में जलापूर्ति की जायेगी. कोल इंडिया को केवल पानी निःशुल्क उपलब्ध कराना था और उसे फिल्टर कर जलापूर्ति का जिम्मा राज्य सरकार का था. इस योजना पर भी अत्यंत मंथर गति से काम चल रहा है. उन्होंने कहा है कि इस योजना को बीसीसीएल को खुद अपने हाथों लेने की की जरूरत है.

नगर निगम को टैक्स नहीं देता बीसीसीएल : कोयला मंत्री को लिखे पत्र में सांसद श्री पोद्दार ने बताया कि बीसीसीएल धनबाद नगर निगम को कोई टैक्स नहीं देता. धनबाद नगर निगम के महापौर चंद्रशेखर अग्रवाल, (जिनका कार्यकाल अभी-अभी खत्म हुआ है) ने भरपूर कोशिश की, लेकिन बीसीसीएल से कोई टैक्स हासिल नहीं कर सके. फिलहाल बीसीसीएल और नगर निगम के बीच यह मामला न्यायालय में चल रहा है. निगमित सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत बीसीसीएल द्वारा जहां-तहां थोड़ा बहुत काम करा दिया जाता है और इसी को बीसीसीएल अपना दायित्व की इतिश्री समझ लेता है.

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