Dhanbad News : पूर्वी टुंडी प्रखंड क्षेत्र के बलारडीह के काली मंदिर में अंग्रेजों के समय से ही पूजा होती आ रही है. बताया जाता है कि प्रखंड का सबसे पुराना काली मंदिर यही है. बलारडीह (शंकरडीह) के समाजसेवी स्व द्वारिका प्रसाद साव की माता बागेश्वरी देवी प्रतिदिन सुबह उक्त काली मंदिर में पूजा-अर्चना करती थी. उस समय मंदिर खुली छत में हुआ करता था. धीरे-धीरे मंदिर का स्वरूप बदला और कार्तिक अमावस्या को काली पूजा धूमधाम से होने लगी. माना जाता है कि बलारडीह काली मंदिर से ही प्रखंड क्षेत्र के अन्य गांवों जैसे शंकरडीह, गोपीनाथडीह, बड़बाद, भोजपुर, असुरबांध आदि जगहों पर काली मंदिर स्थापित किया गया है. बलारडीह का साव परिवार समेत अन्य लोग अभी भी यहां नियमित रूप से साफ-सफाई और पूजा पाठ किया करते हैं. मंदिर का रंग-रोगन प्रतिवर्ष किया जाता है. इस वर्ष भी बलारडीह काली मंदिर के साथ-साथ लटानी, शंकरडीह व बड़बाद का काली मंदिर कार्तिक अमावस्या पर होने वाली पूजा को लेकर पूरी तरह तैयार है. काली पूजा के उपलक्ष्य पर 21अक्तूबर को बड़बाद में भव्य संथाल जात्रा तथा उसी दिन लटानी में स्थानीय युवकों द्वारा बांग्ला जात्रा का आयोजन किया गया है.
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