सम्मेलन का आयोजन इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग द्वारा किया गया, जिसमें देश-विदेश के शोधकर्ता, विशेषज्ञ और छात्र बड़ी संख्या में शामिल हुए. मुख्य अतिथि सिंफर निदेशक प्रो एके मिश्रा ने कहा कि जहां माइनिंग देश के जीडीपी में लगभग 2.5 प्रतिशत योगदान देती है, वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन सेक्टर का योगदान 13–14 प्रतिशत तक है, जो 2030 तक 15 प्रतिशत से अधिक हो सकता है. उन्होंने एनर्जी सिक्योरिटी, इलेक्ट्रिक व्हीकल, सस्टेनेबिलिटी और नेट जीरो लक्ष्यों को हासिल करने में इन विषयों की भूमिका को अहम बताया. साथ ही छात्रों और शोधार्थियों से केवल पेपर पब्लिकेशन तक सीमित न रहकर प्रोडक्ट आधारित रिसर्च और उद्योग-अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने की अपील की.
सम्मेलन ने खोले शोध के नये द्वार
समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के निदेशक प्रो सुकुमार मिश्रा ने इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग को सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए बधाई दी. कहा कि आज इलेक्ट्रिकल साइंस कई उप-विषयों में विकसित हो चुकी है और ऐसे सम्मेलन नवाचार व नए विचारों को जन्म देते हैं. संयोजक प्रो जेसिंग थांगराज ने बताया कि 230 से अधिक शोध पत्र प्राप्त हुए, इनमें से 108 पत्र 16 तकनीकी सत्रों में प्रस्तुत किये गये. सम्मेलन में तीन कीनोट टॉक, 10 आमंत्रित व्याख्यान और खनन क्षेत्र की सस्टेनेबिलिटी पर विशेष सत्र भी आयोजित हुआ. अंत में प्रो हिमांशु भूषण मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

