Dhanbad News : नगर निगम के सिजुआ क्षेत्र अंतर्गत भेलाटांड़ और कसियाटांड़ बस्ती में डायरिया का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है. शुक्रवार को इलाके से आठ नये मरीजों की पहचान की गयी, जिससे पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है. इलाके में पूर्व में डायरिया से एक मासूम बच्चे की मौत हो जाने के बाद से ही स्थानीय लोग दहशत में हैं. इधर, स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग, टाटा स्टील फाउंडेशन (टीएसएफ) की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं. अधिकारी और डॉक्टर लगातार प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से बस्ती में कई अस्थायी शिविर लगाये गये हैं, जहां मरीजों को मुफ्त दवा, ओआरएस और एंटीबायोटिक्स दी जा रही हैं.
अगले आदेश तक स्कूल किये गये बंद
डायरिया के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने भेलाटांड़ प्राथमिक विद्यालय में अगले आदेश तक पठन-पाठन पर रोक लगा दी है. अधिकारियों का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है, और फिलहाल उन्हें घरों में ही रखा जाए. स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार बच्चों और अभिभावकों को स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रही हैं.
दोनों बस्तियों में दर्द और सन्नाटा
भेलाटांड़ और कसियाटांड़ की घनी आबादी वाली गलियों में इन दिनों सन्नाटा पसरा है. लगभग हर घर में कोई न कोई सदस्य डायरिया की चपेट में है. एक बच्चे की मौत ने लोगों को अंदर तक हिला दिया है. मृतक के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है.
अस्पतालों में जंग जारी, डायरिया की चपेट में 27 दिन का नवजात भी
शुक्रवार को जिन आठ नये मरीजों की पुष्टि हुई हैं, उनमें 27 दिन का एक नवजात भी शामिल है. उसकी हालत नाजुक बताई जा रही है. इसके अलावा 25 वर्षीय नंदु महतो, 18 वर्षीय युधिष्ठिर कुमार महतो, 35 वर्षीया गीता देवी, 52 वर्षीया गंगिया देवी, 42 वर्षीया सुषमा देवी, 58 वर्षीय रोहन महतो और छह वर्षीय आयुष कुमार में डायरिया के लक्षण पाए गये हैं. उनमें से कई को बेहतर इलाज के लिए एसएनएमएमसीएच व सदर अस्पताल धनबाद रेफर किया गया है. डॉक्टरों के अनुसार सभी का इलाज चल रहा है और स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है.
छठ महापर्व पर डायरिया का साया
डायरिया के प्रकोप ने इस बार आस्था के महापर्व छठ की रौनक भी छीन ली है. बस्ती की महिलाएं, जो हर साल श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत रखती थीं. इस बार बिस्तर पर पड़ी हैं. इस बार छठ घर में ही रह गया है. पूजा की जगह दवा और इलाज चल रहा है. लोगों का कहना है कि कोरोना के बाद यह दूसरा मौका है जब छठ पर्व भय और बीमारी की छाया में बीत रहा है.
दूषित पानी बना कारण
चिकित्सकों के अनुसार बीमारी का मूल कारण दूषित जल है. बस्ती में लंबे समय से स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था नहीं थी. लोग कुओं और नालों के समीप के जल स्रोतों का उपयोग कर रहे थे. जांच में यह पानी संक्रमित पाया गया. इसके बाद प्रशासन ने तत्काल ऐसे जल स्रोतों के उपयोग पर रोक लगा दी और टाटा स्टील फाउंडेशन ने राहत की जिम्मेदारी संभाल ली है.
टैंकरों से हो रही पेयजल की सप्लाई
टीएसएफ की ओर से टैंकरों के माध्यम से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति शुरू कर दी गयी है. कंपनी ने ब्लीचिंग पाउडर और क्लोरीन का छिड़काव भी कराया है. इसके साथ ही बस्ती में सफाई अभियान चलाया जा रहा है.
भविष्य के लिए चेतावनी
डायरिया का यह प्रकोप एक बार फिर यह सवाल उठाता है कि क्या झारखंड के ग्रामीण इलाके आज भी स्वच्छ जल और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि खनन क्षेत्र के प्रदूषण और अनियमित जलापूर्ति ने इस संकट को और गहरा कर दिया है. जिला प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि भविष्य में ऐसे हादसे न हों, इसके लिए कुओं और टैंकों की नियमित जांच और सफाई की जायेगी.
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