धनबाद. ईस्ट सेंट्रल रेलवे मेन्स कांग्रेस ने गुरुवार को विरोध सप्ताह मनाया. इस दौरान सभा महासचिव पीएस चतुर्वेदी के नेतृत्व में डीआरएम कार्यालय के समक्ष सभा की. वक्ताओं ने न्यू पेंशन स्कीन (एनपीए) व यूनिफाइड पेंशन स्कीन (यूपीएस) पर विरोध जताया. इस दौरान उन्होंने ओपीएस की मांग उठायी. महासचिव ने यूपीएस की कमियों और नकारात्मक पहलू पर विस्तार से प्रकाश डाला. सभा के दौरान महासचिव पीएस चतुर्वेदी ने कहा कि यूपीएस में पेंशन शब्द को ””””””””पे आउट”””””””” से बदल दिया गया है. इससे उन कर्मचारियों की भावना को ठेस पहुंची है, जो समर्पण के साथ कार्य कर रहे हैं. कहा कि ओपीएस के विपरीत, यूपीएस अंशदायी है. इसमें कर्मचारी को अपना योगदान देना अनिवार्य है. यूपीएस में यह निर्धारित किया गया है कि पेंशनर को आश्वस्त भुगतान उसकी सेवानिवृत्ति से ठीक पहले के 12 महीने के औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत दिया जाएगा, जबिक ओपीएस के अंतर्गत यह अंतिम आहरित मूल वेतन का 50 प्रतिशत होता था. इन मांगों को लेकर उठायी आवाज ईसीआरएमसी की मांगों में एनपीएस या यूपीएस को रद्द कर ओपीएस की पुर्नस्थापना करना, पदों के सृजन से रोक हटाना, जीवित पदों का सरेंडर बंद करना, रेलवे बोर्ड के मानकों के आधार पर यार्ड स्टिक तय कर अतिरिक्त पदों का प्रावधान सुनिश्चित करना, जनवरी 2020 से जून 2021 तक के फ्रीज किए गए डीए का जल्द से जल्द भुगतान कराने आदि की मांग शामिल है. मौके पर विजय कुमार महाजन, वीरेंद्र शुक्ला, अनिल कुमार सोनी, लोचन मंडल, एसके गिरी, सोनू उपाध्याय, मंजेश राव, धुरेंद्र यादव, राज बहादूर सिंह, संतोष कुमार, सर्वजीत सिंह, विजय कुमार राम, हेलाल मुस्तफा खान, दामोदर महतो, गौरव चौबे, रामू महतो, गोपाल कुमार साव, महेंद्र कुमार, टिंकू बांसफोड़, आरके लकड़ा, आरके प्रसाद, राजेश कुमार सिंह आदि थे.
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