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Dhanbad News : सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इसीएल ने अनुकंपा पर पुत्रवधू को दिया नियोजन

Dhanbad News : सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इसीएल ने अनुकंपा पर पुत्रवधू को दिया नियोजन

पांच वर्ष के संघर्ष के बाद मिला मुकाम तो फूली न समायी बरवा की आरती मुर्मू Dhanbad News : इसीएल मुगमा एरिया की एक आदिवासी महिला के संघर्ष ने उसे उसका हक दिलाया. फलस्वरूप सोमवार को उसे इसीएल में नियोजन मिला. हम बात कर रहे हैं गोविंदपुर के बरवा गांव निवासी आरती मुर्मू की. उसने लड़ कर अनुकंपा की नौकरी हथियायी. पंचेत की बेटी आरती मैट्रिक पास है. उसने इसीएल मुगमा एरिया के अधीन राजा कोलियरी वीटीजी सेंटर में ज्वाइनिंग कर ली है. उसने सोमवार को काम भी किया. आरती आरती मुर्मू व उसके परिजनों ने कहा कि नुनूलाल हेंब्रम इसीएल मुगमा एरिया के अधीनस्थ चापापुर कोलियरी में जनरल मजदूर थे. उनका निधन वर्ष 2019 को हो गया. उनके निधन के बाद उनके पुत्र कृष्ण मुर्मू ने इसीएल में नियोजन (डेथ केस) के लिए आवेदन किया. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. अभी उसे नियोजन मिला भी नहीं था और तब तक पिता की मृत्यु के एक साल के अंतराल में वर्ष 2020 को कृष्ण की भी मौत हार्ट अटैक से हो गयी. कृष्ण की पत्नी आरती मुर्मू के सामने दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. उसे उस समय मात्र तीन माह की बेटी थी. घर में कोई पुरुष सदस्य था नहीं, जिसे नुनूलाल के डेथ केस की नौकरी दी जाए. आरती ने अपने ससुर के बदले नियोजन लेने को लेकर इसीएल मुगमा एरिया में आवेदन किया. लेकिन प्रबंधन ने नियमों का हवाला देते हुए उसके नियोजन पत्र को रिजेक्ट कर दिया. कहा कि प्रोविजन में पुत्रवधू को नियोजन नहीं दिया जा सकता है. लेकिन, आरती के कदम रुके नहीं. मामले को लेकर वह सीधा कोलकाता उच्च न्यायालय गयी. उच्च न्यायालय ने आरती के पक्ष में फैसला देते हुए प्रबंधन को उसे योगदान दिलवाने का आदेश दिया. इसके बाद इसीएल प्रबंधन ने हाइकोर्ट के सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देते हुए डबल बेंच में अपील की. डबल बेंच ने भी सिंगल बेंच के फैसले को ही बरकरार रखा और नियोजन देने का आदेश दिया. इसके बाद प्रबंधन इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय गया, तो वहां से नवंबर 2024 में आरती के पक्ष में फैसला आया और प्रबंधन को जल्द से जल्द उसे योगदान दिलवाने का आदेश दिया. उसके बाद एक फरवरी को विधिवत रूप से इसीएल प्रबंधन ने उसे ज्वाइनिंग लेटर दे दिया.

परिजनों में हर्ष का माहौल

: उसकी इस सफलता से परिजनों में हर्ष का माहौल है. एक आदिवासी घर की महिला कोलकाता से लेकर नई दिल्ली तक का चक्कर लगाया और अंतत: अपने पक्ष में फैसला लेने में सफल हुई. वह कहती है कि जैसे ही हाइकोर्ट में उसके पक्ष में फैसला आया तो उसे विश्वास हो गया था कि नौकरी अवश्य लूंगी और उसने हासिल की.

कोट :

इसीएल में इस तरह का यह पहला मामला है, जब किसी कर्मी के निधन के बाद उसकी पुत्रवधू को नियोजन देना पड़ा. श्री शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इसीएल में इसे नियम न माना जाए, लेकिन आरती को नियोजन दिया जाए. उसी परिपेक्ष्य में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद एक फरवरी को आरती मुर्मू को ज्वाइनिंग लेटर दे दिया गया है. ऐसे पुत्रवधू को ज्वाइनिंग दिलवाने का प्रावधान इसीएल में नहीं है.

रति मोहन शर्मा

,एपीएम, इसीएल मुगमा एरिया

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Prabhat Khabar News Desk
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