कोयले के खदानों में हीरा भी मिलता है. वह खूब चमकता है. इसी तरह के चमकते हीरे से एसएस प्लगमैन इलेक्ट्रिकल के संस्थापक शैलेश साव की तुलना की जाती है. कोयला राजधानी धनबाद में जन्म लेने वाले शैलेश ने अपनी पत्नी के साथ मिल कर प्लगमैन इलेक्ट्रिकल की स्थापना वर्ष 2019 में की. शुरुआत में 10 लाख रुपये से कंपनी शुरू की थी. जीवन में कई उतार-चढ़ाव आये, लेकिन दृढ़ निश्चय के साथ वह अपनी कंपनी को स्टेबल करने में लगे रहे. वर्ष 2018 में स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम में उनके आइडिया को प्रथम स्थान मिला. 75 हजार रुपये बतौर इनाम मिले. अपनी कंपनी बनाने के बाद शैलेश ऊष्मारोधी इलेक्ट्रिकल प्लग बनाकर बेचते हैं और दूसरों राज्यों में भी आपूर्ति करते हैं. इसके अलावा ह्वाइट लेबलिंग के तहत किसी दूसरी कंपनी का सामान बनाकर, उसपर उस कंपनी का लेबल लगाकर आपूर्ति करते हैं.
झारखंड व बिहार में करना चाहते हैं कंपनी का विस्तार :
शैलेश धनबाद और उसके आसपास के क्षेत्र की महिलाओं और बेरोजगार स्नातकों को रोजगार उपलब्ध कराना चाहते हैं. बाद में कंपनी का विस्तार झारखंड से बिहार तक करना चाहते हैं. फिलहाल वह वर्क फ्रॉम होम मॉडल पर काम कर रहे हैं. अब तक 70 से भी अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण देकर घर पर ही कच्चा माल उपलब्ध कराते हैं. प्लग तैयार होने के बाद उत्पादों की संख्या के आधार पर भुगतान करते हैं. शैलेश का धनबाद के जोड़ाफाटक में अपना मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भी है. इसमें उन्होंने आस-पास की बस्ती की महिलाओं को रोजगार दिया है.अधिक से अधिक बेरोजगारों को देना चाहते हैं रोजगार :
शैलेश का मानना है कि वर्क फ्रॉम होम मॉडल महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ आत्मसम्मान को जगायेगा. उनका लक्ष्य है कि धनबाद जिले में अधिक से अधिक बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराना और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है. वर्ष 2023-2024 में धनबाद की दुकानों में ही शैलेश ने 20 लाख से भी अधिक व्यापार किया है और इस वर्ष 50 लाख तक करने का लक्ष्य है. शैलेश बताते हैं कि इनके यहां निर्मित प्लग की विशेषता है कि ये ऊष्मारोधी हैं, जो बिजली के शॉर्ट सर्किट से न जलता है और ना ही काला होता है. इसकी कीमत भी कम है. इसे गरीब लोग भी खरीद सकते हैं.नौकरी के दौरान आया स्टार्टअप का आइडिया :
शैलेश का जन्म और पालन-पोषण धनबाद में हुआ. उन्होंने अपनी प्रारंभिक और उच्च शिक्षा बीकॉम करने के बाद सीए की तैयारी करने लगे. आर्थिक समस्याओं के कारण सीए की तैयारी छोड़ दिल्ली चले गये. वहां एक इलेक्ट्रिकल उपकरण निर्माण कंपनी में नौकरी की. वहां उनकी मुलाकात उनके गुरु राजेंद्र सिंह और अवतार सिंह से हुई. उनसे इलेक्ट्रिकल उपकरण निर्माण की सभी बुनियादी बातें सीखीं. वहीं से एक कंपनी शुरू करने का आइडिया आया. इसके बाद कंपनी की नींव पड़ी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

