धनबाद.
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, शनिवार को है. वहीं कार्तिक पूर्णिमा पांच नवंबर को है. इस दिन सिखों के गुरु नानकदेव जी की जयंती है. यह सिखों का सबसे बड़ा पर्व है. पंडित गुणानंद झा ने बताया कि भगवान विष्णु आषाढ़ मास एकादशी को चार माह के लिए योग निद्रा में जाते हैं. जो देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं. एकादशी एक नवंबर को सुबह चार बजकर 13 मिनट पर शुरू होगी जो दो नवंबर की रात तीन बजकर सात मिनट तक रहेगी. एकादशी का व्रत एक नवंबर को मान्य है. इस दिन माता तुलसी का विवाह शालीग्राम भगवान के साथ किया जाता है. साल की 24 एकादशी में देवउठान एकदशी का महत्व सबसे अधिक होता है. वहीं कार्तिक पूर्णिमा की तिथि चार नवंबर को रात नौ बजकर 44 मिनट से शुरू हो रही है जो पांच नवंबर को शाम सात बजकर 28 मिनट तक रहेगी. शास्त्रों में उदया तिथि की मान्यता होने के कारण पूर्णिमा तिथि पांच को मान्य होगी.दीप जलाकर सौभाग्य का आशीष मांगती हैं सुहागिनें
कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को देव उठनी एकादशी को देव दिवाली, भीष्म दिवाली के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन सुहागिनें शाम को सरोवर, नदी, गंगा घाट पर दीप जलाकर सौभाग्य का आशीष मांगती हैं. पंडित गुणानंद झा बताते हैं जो सुहागिन कार्तिक मास में पूरे मास ब्रह्म मुहूर्त में स्नान नहीं कर पाती हैं, वे एकादशी से पूर्णिमा तक ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करती हैं तो उन्हें पूरे माह का फल प्राप्त होता है. एकादशी से पूर्णिमा तक के समय को विश्व पंचक कहा जाता है. जो सुहागिनें विश्व पंचक का स्नान करती हैं, उन्हें सौभाग्य संतति, मोक्ष प्राप्ति, पति को सत्कर्म प्राप्त होता है.
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