Dhanbad News : लोदना ओपी क्षेत्र अंतर्गत बुधवार कोआवास ढहने की घटना के बाद गुरुवार को तीनों का शवों परिजनों को सौंप दिया गया. उसके बाद परिजन तीनों शव लेकर लोदना क्षेत्रीय कार्यालय पहुंचे और मुख्य द्वार के समीप रखकर मुआवजा की मांग की. संयुक्त मोर्चा व विभिन्न ट्रेड यूनियनों ने इसका समर्थन किया. परिजन मुआवजा, नियोजन व मृतक के बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने की मांग कर रहे थे. समाचार लिखे जाने तक इस पर कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया था. धरनास्थल पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है. घटना को लेकर लोदना जीएम ने अधिकारियों के साथ बैठक की और भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कई दिशा-निर्देश दिये. आंदोलन में मृणाल कांत सिंह, रूपक सिन्हा, दीपक सिंह, रामबाबू सिंह आदि प्रमुख थे. सनद रहे कि बुधवार को आठ नंबर बीसीसीएल के जर्जर आवास ढहने से मलबे में दबने लोदना चार नंबर निवासी करमू दुसाध के मंझले पुत्र चिराग पासवान (12 वर्ष), गोपाल मिस्त्री (25 वर्ष) व गोपाल की भांजी सुषमा कुमारी (10 वर्ष) की मौत हो गयी थी, जबकि शंभु पासी, आर्यन कुमार, बंटी कुमार, ट्रैक्टर चालक सचिन यादव व मो आकिब घायल हो गये थे.
परिजन बार-बार हो रहे थे बेहोश
इधर शव पहुंचने पर मृतक गोपाल मिस्त्री की पत्नी प्रियंका, चिराग की मां सुमित्रा व सुषमा की मां नीलम देवी का रो-रोकर बुरा हाल हो गया था. तीनों बार-बार बेहोश हो जा रही थी.
मुआवजा राशि को लेकर बनी रही जिच
देर शाम लोदना क्षेत्रीय कार्यालय सभागार में त्रिपक्षीय वार्ता हुई. वार्ता में यूनियन प्रतिनिधियों ने मृतकों के आश्रितों को 50-50 लाख मुआवजा, नियोजन व गोपाल के बच्चों व सुषमा के भाई-बहन को पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध काने की मांग की. इस पर प्रबंधन ने दो लाख रुपये मुआवजा, प्राइवेट कंपनी में नियोजन व शिक्षा के लिए बीसीसीएल द्वारा अनुदानित विद्यालय में नामांकन तथा 12वीं तक नि:शुक्ल शिक्षा उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया, लेकिन, मुआवजा राशि पर सहमति नहीं बन पायी, उसके कारण आंदोलन जारी था.आउटसोर्सिंग व साइडिंग में काम रहा ठपबुधवार को हुई घटना के बाद लोदना क्षेत्र की जयरामपुर कोलियरी, एकीकृत कुजामा कोलियरी, देवप्रभा आउटसोर्सिंग, एनटीएसटी गोल छह नंबर व नौ नंबर साइडिंग में काम पूरी तरह ठप रहा.
वार्ता में ये थे मौजूद
: त्रिपक्षीय वार्ता में प्रबंधन की ओर से जीएम निखिल बी त्रिवेदी, एपीएम बीके सिंह, एजेंट एसके सिन्हा, सांसद प्रतिनिधि जितेंद्र प्रसाद, झरिया विधायक प्रतिनिधि संजय यादव, यूनियन की ओर से योगेंद्र यादव, मुंद्रिका पासवान, रंजय कुमार, बिहारी लाल चौहान, संजीत सिंह, छोटू सिंह, एके झा, रुदल पासवान, संजय पासवान, ललन पासवान, अनूप साव, सत्येंद्र गुप्ता, जितेंद्र प्रसाद, शिवकुमार सिंह, मुनीलाल राम, सूरज भुइयां, रविकांत पासवान, नागेश्वर पासवान, शिव पासवान, जॉनी पासवान आदि थे.क्षेत्रीय कार्यालय में सीआइएसएफ जवानों की तैनाती
घटना के बाद लोदना क्षेत्रीय कार्यालय में लोदना जीएम निखिल बी त्रिवेदी की आला धिकारियों के साथ बैठक हुई. इस दौरान घटना को लेकर चर्चा की गयी. पुनर्वास होने के बाद खाली आवासों को डिस्मेंटल किये जाने का आदेश दिया गया. घटना के प्रति संवेदना जारी की गयी. सुबह से ही कार्यालय परिसर में सीआइएसएफ व सुरक्षा प्रहरी तैनात किया गया था. अंदर से ताला लगा दिया गया था. इस दौरान बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी थी. इस दौरान झरिया इंस्पेक्टर शशिरंजन कुमार, जोड़ापोखर सर्किल इंस्पेक्टर आशुतोष कुमार, तिसरा थाना, भौंरा ओपी, लोदना ओपी, घनुडीह ओपी, अलकडीहा ओपी व सीआइएसएफ के बड़े अधिकारी तक बाहर में तैनात थे.घटनास्थल से महज 20 फीट की दूरी पर है मध्य विद्यालय
लोदना आठ नंबर में घटनास्थल से महज 20 फीट की दूरी पर ही उत्क्रमित मध्य विद्यालय पाध्याडीह है. विद्यालय के शिक्षक दशरथ मंडल ने बताया कि इसमें कुल 47 विद्यार्थी पठन-पाठन करते हैं. घटना के बाद गुरुवार को मात्र पांच विद्यार्थी स्कूल पहुंचे. बाकी के परिजनों ने किसी अनहोनी की शंका को लेकर विद्यार्थियों को विद्यालय नहीं भेजा. घटना में मृत सुषमा कुमारी इसी विद्यालय की छठीं कक्षा की छात्रा थी. सुषमा की नानी कौशल्या देवी इसी विद्यालय में रसोइया है. मृत चिराग दो साल पूर्व ही इस विद्यालय से स्थानांतरण पत्र लेकर दूसरे स्कूल गया था.
जाको राखे साइयां…
जाको राखे साइयां, मार सके न कोय यह कहावत चिराग के बड़े भाई सचिन पासवान पर सही बैठ रही है. बताया जाता है कि बारिश होने की वजह से सचिन अपने छोटे भाई चिराग व अन्य के साथ आवास में था, लेकिन जैसे ही बारिश थोड़ी कम हुई तो सचिन लघुशंका करने के लिए बाहर निकला और उसी वक्त आवास गिरना शुरू हो गया और सभी उसमें दब गये, लेकिन सचिन को कुछ नहीं हुआ. सचिन ने बताया कि घटना के बाद सुषमा भी मलबे में दबी थी और उसकी रोने की आवाज आ रही थी. परिजनों के आने के बाद हो-हल्ला होने लगा. इससे सुषमा की आवाज दब गयी और उसे बचाया नहीं जा सका.घर का एकमात्र कमाऊ सदस्य था गोपाल मिस्त्री
बताया जाता है कि घटना में मृत गोपाल मिस्त्री की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है. वह अपने पीछे पत्नी प्रियंका, एक पुत्र व एक पुत्री छोड़ गया है. वह दैनिक मजदूरी कर किसी तरह अपने परिवार का भरण पोषण करता था. उसकी मौत हो जाने से उसके परिवार के समक्ष आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गयी है. सुषमा की मां नीलम देवी के पति की मौत छह साल पहले ही हो गयी थी. उसके बाद वह अपने मायके में रहने लगी थी. दो वर्ष पूर्व उसने दूसरा विवाह किया, लेकिन दूसरा पति भी उसे छोड़कर चला गया. नीलम के जीने का एकमात्र सहारा सुषमा ही थी, जो हादसे का शिकार हो गयी.
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