धनबाद : बीसीसीएल की करीब 130 करोड़ की लागत से निर्मित पाथरडीह वाशरी (वन) में उत्पादन शून्य है. मार्च 2018 में तत्कालीन कोयला सचिव ने इसका उद्घाटन किया था, लेकिन उद्घाटन के 19 माह बाद भी 5.0 एमटीपीए क्षमता की इस वाशरी से उत्पादन शुरू नहीं हो सका है. इसका मुख्य कारण रेल रैक से कोयला आपूर्ति के लिए ट्रैक का नहीं बनना है. यहां वाश्ड कोल का उत्पादन नहीं होने से कंपनी को प्रतिमाह भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है. वर्तमान स्थिति यह है कि कोयला के अभाव में वाशरी का परफॉरर्मेंस गारंटी टेस्ट (पीजी टेस्ट) तक नहीं हो पा रहा है.
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पाथरडीह वाशरी : 130 करोड़ खर्च, उत्पादन शून्य
धनबाद : बीसीसीएल की करीब 130 करोड़ की लागत से निर्मित पाथरडीह वाशरी (वन) में उत्पादन शून्य है. मार्च 2018 में तत्कालीन कोयला सचिव ने इसका उद्घाटन किया था, लेकिन उद्घाटन के 19 माह बाद भी 5.0 एमटीपीए क्षमता की इस वाशरी से उत्पादन शुरू नहीं हो सका है. इसका मुख्य कारण रेल रैक से […]
क्या है मामला : बीसीसीएल की आर्थिक स्थिति में सुधार तथा वाश्ड कोल का उत्पादन बढ़ाने के लिए पाथरडीह में वाशरी निर्माण के लिए आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स मोनेट इस्पात एनर्जी लिमिटेड को वर्क अवार्ड किया गया था. निविदा की शर्तों के मुताबिक मोनेट इस्पात को वाशरी निर्माण के साथ-साथ रॉ कोल रिसिविंग के लिए रेलवे के निर्देशानुसार 220 मीटर का बीओबीएम (बॉटम ऑन बॉटम रिसिविंग) रिसिविंग ट्रैक हॉपर बनाना था.
लेकिन वाशरी निर्माण कार्य तो कर दिया गया, लेकिन ट्रैक हॉपर का निर्माण कार्य अब तक नहीं हुआ है. इस कारण वाशरी को पर्याप्त मात्रा में कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. इधर, कार्य पूरा नहीं होने के कारण बीसीसीएल ने मोनेट की बैंक गारंटी के 13 करोड़ सहित करीब 20 करोड़ रुपये का भुगतान रोक रखा है.
अतिरिक्त भुगतान के पेंच में फंसा है ट्रैक निर्माण : निविदा आमंत्रण सूचना के अनुसार रेलवे के निर्देश पर मोनेट को 220 मीटर का रिसिविंग ट्रैक हॉपर बनाना है, लेकिन वह एग्रीमेंट के मुताबिक 64 मीटर ट्रैक हॉपर ही बनाने को तैयार है. शेष 154 मीटर ट्रैक हॉपर वह तब बनायेगी जब बीसीसीएल से अतिरिक्त भुगतान मिले. लेकिन बीसीसीएल निविदा आमंत्रण सूचना का हवाला देते हुए बिना अतिरिक्त भुगतान के ट्रैक हॉपर बनाने को कह रही है.
एग्रीमेंट में ही उलझाव : वाशरी निर्माण को लेकर बीसीसीएल और आउटसोर्सिंग कंपनी मोनेट के बीच हुए एग्रीमेंट में ही गोलमाल है. निविदा आमंत्रण सूचना के मुताबिक मोनेट को 220 मीटर में तीन ट्रैक हॉपर बनाना है. लेकिन मोनेट ने ऑफर में 64 मीटर के लिए 4.5 करोड़ रुपया ही कोट किया था. लेकिन एग्रीमेंट के वक्त इसे नजर अंदाज किया गया. इधर मोनेट से विवाद के बाद अब बीसीसीएल मामले पर लीगल ओपिनियन ले रही है. साथ ही बाहरी एजेंसी से परामर्श भी लिया जा रहा है.
अपने वादे से मुकर रही है बीसीसीएल : मोनेट: 220 मीटर ट्रैक हॉपर बनाने की शर्त बाद में आयी. इस कारण मोनेट बीसीसीएल के साथ एग्रीमेंट करने को तैयार नहीं थी. तब कंपनी के तत्कालीन डीटी अशोक सरकार ने बकायादा लिखित दिया कि 64 मीटर से अधिक ट्रैक निर्माण तथा 4.5 करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च होने पर अतिरिक्त राशि का भुगतान बीसीसीएल करेगी. लेकिन अब कंपनी प्रबंधन अपने वादों से मुकर रहा है, जो सही नहीं है. मोनेट एग्रीमेंट के तहत आज भी 64 मीटर ट्रैक हॉपर बनाने को तैयार है, लेकिन उसे रेलवे मंजूरी नहीं दे रहा है.
विजय कुमार, महाप्रबंधक, मोनेट इस्पात
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