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धनबाद :निरसा गांजा तस्करी में चिरंजीत घोष बेगुनाह, तो गुनहगार कौन?

गिरिजेश बंगाल के अधिकारी का नाम लेने के लिए धनबाद पुलिस क्यों बना रही थी दबाव? धनबाद : 39 किलाे गांजा तस्करी में इसीएल, झांझरा प्रोजेक्ट के कर्मचारी चिरंजीत घोष को जेल भेजने, फिर निर्दाेष बता कर रिहा करने का मामला गहराता जा रहा है. हालांकि पुलिस कह रही है, मामले की जांच भी चल […]

गिरिजेश
बंगाल के अधिकारी का नाम लेने के लिए धनबाद पुलिस क्यों बना रही थी दबाव?
धनबाद : 39 किलाे गांजा तस्करी में इसीएल, झांझरा प्रोजेक्ट के कर्मचारी चिरंजीत घोष को जेल भेजने, फिर निर्दाेष बता कर रिहा करने का मामला गहराता जा रहा है. हालांकि पुलिस कह रही है, मामले की जांच भी चल रही है.
पर अगर चिरंजीत निर्दाेष था, ताे असली गांजा तस्कर काैन है? गाड़ी किसकी है? पुलिस अब तक इसका खुलासा नहीं कर पायी है. पुलिस ने चार सितंबर काे चिरंजीत काे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, फिर एक अक्तूबर काे ठाेस साक्ष्य न मिलने पर रिहा कर दिया गया. पुलिस का कहना है : चिरंजीत गांजा तस्कर नहीं है. इस मामले में दाे और युवकाें संदीप कुमार और राजीव रॉय काे भी हिरासत में लिया गया था. तीन दिन थाने में रखा गया. फिर उन्हें पर्सनल बांड पर छाेड़ दिया गया. इन लोगाें ने प्रभात खबर से कहा : मुझ पर बंगाल के एक पुलिस अधिकारी का नाम लेने के लिए दबाव डाला गया. इस दाैरान काफी टॉर्चर भी किया गया.
पुलिस पर उठ रहे सवाल : इस मामले में धनबाद पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. चिरंजीत घोष अगर बेगुनाह है, तो गुनहगार कौन? पुलिस अभी तक बरामद टवेरा के मालिक तक क्यों नहीं पहुंच पायी, जबकि नंबर उसके पास है? पुलिस को किसने सूचना दी थी कि चिरंजीत ही गांजा तस्कर है? निरसा थाना प्रभारी ने किसकी सूचना पर चिंरजीत को गिरफ्तार किया? अब चूंकि यह साबित हाे गया है कि चिरंजीत निर्दोष है, ताे उसे जेल भेजने की जवाबदेही किसी पुलिस अफसर पर क्याें नहीं तय की गयी?
क्याें डाला जा रहा दबाव? : शुक्रवार को बस्ताकोला निवासी संदीप कुमार और आसनसोल निवासी राजीव रॉय को निरसा पुलिस ने हिरासत में लिया था. इन लाेगाें ने प्रभात खबर काे बताया : उन्हें तीन दिन निरसा पुलिस ने हिरासत में रखा था. उन पर बंगाल के एक अधिकारी का नाम लेने के लिए लगातार दबाव बनाया गया.
उन्हें काफी टॉर्चर भी निरसा पुलिस के द्वारा किया गया. पुलिस की प्रताड़ना से वे सदमे में हैं. उनका कहना है कि जब वह किसी को जानते ही नहीं, तो वह किसी का नाम क्यों लें. सवाल यह भी उठ रहे हैं कि धनबाद पुलिस, बंगाल पुलिस के अधिकारी का नाम लेने के लिए क्यों दबाव बना रही थी?
बंगाल के दाे अफसराें में है विवाद : कहा जा रहा है कि बंगाल के एक आइपीएस व एसडीपीओ की लड़ाई धनबाद में लड़ी जा रही है. दोनों अफसरों में काफी पुराना विवाद है. चिरंजीत मामला इसी की एक कड़ी का हिस्सा है.
क्या था चिंरजीत की पत्नी का आरोप : चिरंजीत की पत्नी श्रावणी शेवाती ने बंगाल के एक एसडीपीओ पर बुरी नजर रखने का आरोप लगाया था. महिला का कहना था कि एसडीपीओ के अलावा एक कोयला माफिया और निरसा थानेदार उमेश प्रसाद सिंह ने साजिश के तहत उसके पति चिरंजीत घोष को इस जाल में फंसाया.
क्या है मामला
25 अगस्त, 2019 की देर रात निरसा थाना से करीब दो किलोमीटर दूर देवियाना गेट एनएच टू के समीप पुलिस ने एक टवेरा गाड़ी पकड़ी थी. उस पर 39 किलो गांजा लदा था. निरसा थानेदार उमेश सिंह ने गांजा तस्करी के आरोप में चिरंजीत घोष सहित पांच लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की थी. थानेदार के अनुसार उन्होंने गुप्त सूचना पर यह कार्रवाई की थी. उन्हें सूचना मिली थी कि इसीएल कर्मी गांजा तस्करी कर रहा है. गाड़ी में वह खुद था, जो भाग गया. बाद में पुलिस ने उसे गुप्त सूचना के आधार पर गिरफ्तार कर जेल भेजा था.
आसनसोल के राजीव रॉय ने गांजा से भरी गाड़ी टवेरा के बारे में सूचना दी थी. उसे पुलिस ने हिरासत में रखकर पूछताछ की थी. राजीव ने बताया कि उसे भी किसी और ने इसकी सूचना दी थी. हालांकि उसका कहना था कि वह उस व्यक्ति को नहीं जानता. पुलिस ने राजीव व संदीप किसी पर भी कोई दबाव नहीं बनाया है.
अमन कुमार, एसपी, ग्रामीण

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