अधिकतर तालाबों में नहीं रहता है पानी
धनबाद : तालाबों का अस्तित्व यूं ही नहीं खत्म होता जा रहा है. एक-एक इंच जमीन कब्जाने से कभी लबालब भरे रहने वाले सरकारी तालाब अब समतल हो गये हैं. गांव के साथ शहरों में भी तालाब पाट दिये गये हैं. कभी कई हजार तालाब हुआ करते थे. अब रिकार्ड में मात्र 1298 हैं. इनमें से अधिकांश पर कब्जा है या फिर उनके हलक सूखे हुए हैं.
जिला डार्क जोन में है, फिर भी जल संरक्षण और वाटर रिचार्ज के सबसे अच्छे विकल्प तालाब नष्ट किये जा रहे हैं. इनमें मनईटांड़ का सिंघाड़ा तालाब और छठ तालाब भी हैं. सिंघाड़ा तालाब को समतल कर दिया गया है. वहीं छठ तालाब में निर्माण कार्य किये जा रहे हैं. इसे रोकने के लिए मत्स्य विभाग ने पहल की. लेकिन काम अब तक नहीं रूका है.
अधिकांश तालाब सूखे हैं : सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक जिला में कुल 1298 तालाब हैं. इनमें से अधिकांश सूखे हैं या फिर उन पर कब्जा हो चुका है. धनबाद ब्लॉक में 31 तालाब हैं. इनमें से 10 अयोग्य घोषित हैं. 15 तालाब बूंद-बूंद को तरस रहे हैं. बाघमारा ब्लॉक में 180 तालाब हैं, इनमें 28 अयोग्य हैं. इनमें 115 मौसमी तालाब हैं. झरिया ब्लॉक में कुल 24 तालाब है. इनमें से 9 अयोग्य व 11 मौसमी हैं. टुंडी ब्लाक में कुल 158 तालाब हैं. इनमें से 125 मौसमी है.
बलियापुर ब्लॉक में कुल 181 तालाब है. इनमें से 72 अयोग्य है. पांच पर अवैध कब्जा है. 68 तालाब मौसमी हैं. जबकि छह पर रैयती को लेकर विवाद चल रहा है. निरसा ब्लॉक में 315 तालाब रिकॉर्ड में दर्ज हैं. इनमें से 50 अयोग्य है. दो पर कब्जा है. 200 मौसमी है. गोविंदपुर ब्लॉक में 207 तालाब हैं. इसमें से आठ अयोग्य, दो पर कब्जा व 135 तालाब मौसमी हैं. तोपचांची ब्लॉक में कुल 120 तालाब हैं. इनमें दो अयोग्य, एक पर कब्जा व 83 तालाब मौसमी हैं. वहीं पूर्वी टुंडी में कुल 82 तालाब हैं. इसमें से 55 मौसमी हैं.