अमरनाथ पोद्दार, देवघर : बाबा बैद्यनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि के दूसरे दिन नवविवाहित को मेखला देने की परंपरा रही है. यह मेखला मर्यादी के तौर पर लक्ष्मीपुर इस्टेट के रियासत से देने की वर्षों पुरानी परंपरा है, जो आज भी चल रही है. शिव-पार्वती के विवाह के उपरांत दूसरे दिन नवविवाहित को यह मेखला संध्या पांच बजे लक्ष्मीपुर चौक स्थित लक्ष्मीपुर इस्टेट की कोठी से निकलती है व बाबा बैद्यनाथ मंदिर के गर्भगृह में पहुंचाया जाता है. लक्ष्मीपुर इस्टेट की उत्तराधिकारी राधा रानी सिंह की उपस्थिति में पंडितों सहित कुल पांच लोगों द्वारा आज भी पीतल के पांच परात में मेखला भेजा जाता है. राधा रानी सिंह ने बताया कि वर्षों पहले उनके पूर्वजों द्वारा ही इस परंपरा की शुरुआत की गयी है, जिसका धार्मिक महत्व भी बताया गया है. इस वर्ष भी मेखला भेजने की तैयारी दो दिन पहले से ही चल रही है. इस मेखला में शादी के बाद शगुन देने की परंपरा के अनुसार आभूषण, मिठाइयां, फल, ड्राइ फ्रुट्स, लाल रंग की चूड़ियां, कुमकुम, ईत्र, फुलेल, पान आदि शामिल रहेंगे. पांच प्रकार के फल दिये जायेंगे. साथ ही राशि भी शुभता के लिए प्रदान की जायेगी. यह मर्यादी नवविवाहित जोड़े के भविष्य के सुखमय जीवन के लिए शुभकामनाओं का प्रतीक मानी जाती है. उन्होंने बताया कि यह न केवल विवाह के उत्सव का हिस्सा है, बल्कि यह दो परिवारों के बीच प्रेम और सम्मान की भावना को भी दर्शाता है.
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