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जल, जंगल और जमीन को बचाने की मुहिम को सशक्त बनाता है पेसा कानून : घनश्याम

पेसा कानून लागू होने से झारखंडवासियों का चिर लंबित सपना पूरा हुआ

मधुपुर. पेसा कानून लागू होने से झारखंड वासियों का चिर लंबित सपना पूरा हुआ. 29 वर्ष पहले 24 दिसंबर 1996 को पेसा कानून बना था. पेसा कानून महज एक कानून नहीं है बल्कि संविधान संशोधन से प्राप्त एक संवैधानिक प्रावधान है. यह बातें पर्यावरणविद् घनश्याम ने कही. उन्होंने कहा कि पेसा कानून बनने के बाद इस बीच कई सरकारें तत्कालीन बिहार और अब के झारखंड में आयी और गयी, लेकिन पेसा कानून लागू करने की जो नियमावली होती है तब से लंबित थी. झारखंड राज्य बनने के बाद झारखंड के सत्ताधीशों को यह काम कर लेना चाहिए था, लेकिन नियमावली बनने का काम लंबित ही रहा. झारखंड के बहुत सारे संगठनों ने इस कानून को शीघ्र बनाने के स्मार पत्र दिया था. साथ ही धरना-प्रदर्शन भी किया था, लेकिन बात बनी नहीं. अंततोगत्वा सुप्रीम कोर्ट के गंभीर हस्तक्षेप के बाद अब इसकी नियमावली पर झारखंड के कैबिनेट ने मुहर लगायी. इससे झारखंड की तस्वीर बदल सकती है जल, जंगल और जमीन को बचाने की मुहिम को सशक्त किया जा सकता है.

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