मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी की जयंती पर उनको याद किया गया. उनकी तस्वीर पर उपस्थित लोगों ने माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. मौके पर धनंजय प्रसाद ने कहा कि रामवृक्ष बेनीपुरी भारत के महान विचारक, चिंतक, क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, साहित्यकार, पत्रकार व संपादक थे. वे हिन्दी साहित्य के शुक्लोत्तर युग के प्रसिद्ध साहित्यकार थे. मैथलीशरण गुप्त, शिवपूजन सहाय, रामधारी सिंह दिनकर, जगदीशचंद्र माथुर व माखनलाल चतुर्वेदी उनकी रचना शैली की जादुई छड़ी के प्रशंसकों में प्रमुख थे. वे गुलामी के खिलाफ संघर्ष को लहराने वाले, तरुनाई की प्रतिभूति, जो न झुकने न टूटने वाले विद्रोही थे. वे अंधकार के खिलाफ रोशनी की तलाश के लिए बैचेन रहने वाले व सादा जीवन उच्च विचार के जीवन शैली में जीने वाले थे. उन्होंने 1919 में रांयल एक्ट के विरोध से राजनीति में शुरुआत की व 8 बार जेल गये. वो राहुल सांकृत्यायन के किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. 1942 में हाजारीबाग जेल से जयप्रकाश नारायण को फरारी में सहयोग किये. उन्होंने युवक, बालक, समाज, तरुण भारत आदि पत्रों का संपादन किये. उनकी मुख्य कृतियां – माटी की मुरते, पतितों का देश, अम्ब्रपाली, स्वाहा, हसिया हथोड़ा, इंकलाब जिन्दाबाद, लाल तारा, कार्ल मार्क्स, लाल चीन आदि है. इसके आंवले अन्य लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किये.
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