मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में मंगलवार को विश्व पृथ्वी दिवस पर प्रकृति से जुड़ाव व दुराव विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर धनंजय प्रसाद ने कहा कि पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है, जहां जीवन है, अगर जीवन को बचाना है तो पृथ्वी को बचाना होगा. आज ये बड़े संकट से जूझ रही है. आज पृथ्वी पर मात्र 1/4 फीसदी ही जंगल है, जबकि पहले 80 फीसदी जंगल हुआ करता था. उन्होंने कहा कि पर्यावरण हमारे जीवन का मूल आधार है. यह हमें सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा, पीने के लिए पानी, खाने के लिए भोजन और रहने के लिए धरती प्रदान करता है. पर्यावरण हजारों वर्षों से हमें और अन्य जीवों को धरती पर बढ़ने, विकसित होने व पनपने में मददगार रहता है. इसके वजह से ही हमारा अस्तित्व कायम है. जल, थल व वायु तीनों मिलाकर पृथ्वी का अस्तित्व कायम है. उन्होंने कहा कि पर्यावरण की समस्या महज प्रक्रियाओं की समस्या नहीं है, बल्कि यह मनोवृत्तियों और व्यवस्थाजन्य स्थितियों की है. पर्यावरण के संकट से देश और दुनिया को तब तक उकारा नहीं जा सकता है, जब तक शासन वर्ग की मनोवृत्ति और व्यवस्थागत प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन नहीं होता है तथा जनता के मनोविज्ञान में बदलाव नहीं आता है. इसके अलावा अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखें. ——————– विश्व पृथ्वी दिवस पर प्रकृति से जुड़ाव व दुराव विषयक पर संगोष्ठी आयोजित
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है