मधुपुर. शहर के भेड़वा स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में शहीद खुदीराम बोस का शहादत दिवस व क्रांतिकारी गीतकार गोपाल सिंह नेपाली की जयंती पर उन्हें याद किया गया. इस दौरान लोगों ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. वहीं, धनंजय प्रसाद ने कहा कि खुदीराम बोस सबसे कम उम्र में शहीद होने वाले क्रांतिकारियों में से एक थे. अंग्रेजी हुकूमत ने देश की आजादी के लिए लड़नेवालों खुदीराम बोस को आज ही दिन 11 अगस्त को फांसी की सजा दे दी थी. आजादी के 78 वर्ष बीत जाने बाद भी आज तक देश के लिए मर-मिटने वाले सच्चे देशभक्त क्रांतिकारियों को शहादत का दर्जा प्राप्त नहीं हुआ है. वहीं, उन्होंने कहा कि क्रांतिकारी गीतकार गोपाल सिंह नेपाली कवि, लेखक व संपादक भी थे. वो समाज व व्यवस्था परिवर्तन के पक्षधर थे और अपनी रचनाओं के माध्यम से हमेशा व्यवस्था पर चोट करते रहते थे. उनकी गीत हमेशा क्रांतिकारियों की जुबां पर रहती थी और उनमें नयी उर्जा पैदा करते रहती थी. भला ऐसे विभूतियों को कैसे बिसराया जा सकता है. अन्य लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किया.
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