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26 माह बाद आया फैसला, डायन हत्या के तीन दोषियों को सश्रम उम्रकैद व महिला को एक साल की सजा, जानें पूरा मामला

बुढ़ई थाना में डायन हत्या के मामले में कोर्ट ने तीन दोषियाें बाबू हांसदा, शोभन हांसदा व गुड्डा सोरेन उर्फ गुड़ा सोरेन को सश्रम उम्रकैद की सजा सुनायी. यह फैसला एडीजे-छह संजीव भाटिया की अदालत ने सोमवार को सुनाया

बुढ़ई थाना में डायन हत्या के मामले में कोर्ट ने तीन दोषियाें बाबू हांसदा, शोभन हांसदा व गुड्डा सोरेन उर्फ गुड़ा सोरेन को सश्रम उम्रकैद की सजा सुनायी. यह फैसला एडीजे-छह संजीव भाटिया की अदालत ने सोमवार को सुनाया. साथ ही तीनों को 22 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया. यह राशि मृतका मति मुर्मू के आश्रितों को देय होगी. जुर्माना की राशि अदा नहीं करने पर अलग से एक साल की सश्रम कैद काटनी होगी.

इसी कांड में सुमति किस्कू उर्फ किस्कू सोरेन काे सिर्फ डायन प्रताड़ना का दोषी पाकर एक साल की सश्रम सजा सुनायी गयी व तीन हजार रुपये जुर्माना लगाया गया. यह राशि भुगतान नहीं करने पर इन्हें अलग से एक माह की कैद की सजा काटनी होगी. सजा पाने वाले सभी लोग बुढ़ई थाना क्षेत्र के नवादा टोला बीचकोड़वा गांव के रहने वाले हैं.

यह मुकदमा मृतका मति मुर्मू के पति लोथवा सोरेन के बयान पर बुढ़ैई थाना में एक अक्तूबर 2019 को दर्ज कराया गया था. मामले के ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष से अपर लोक अभियोजक आनंद कुमार चौबे ने पक्ष रखा तथा घटना के समर्थन में 14 गवाह प्रस्तुत कर दोष सिद्ध करने में सफल रहे, जबकि बचाव पक्ष से कई अधिवक्ताओं ने पक्ष रखे.

एक अक्तूबर 2019 को हुई थी घटना:

बुढ़ई थाना में दर्ज एफआइआर के अनुसार, डायन हत्या की घटना एक अक्तूबर 2019 को हुई थी. सूचक लोथवा अपने परिवार के साथ घटना के दिन अपने घर में था.

लोथवा का अपने भाई कुसुम सोरेन से मनमुटाव चल रहा था. कुसुम का पोता सुमीर सोरेन की तबीयत खराब थी, इस पर कुसुम को शक हो गया कि लोथवा व उनकी पत्नी मति सोरेन डायन है, जो मंत्र के प्रभाव से बीमार कर दिया. इसी शंका पर सभी आरोपितों ने सबल व अन्य घातक हथियार से लैश होकर आये व मारपीट करने लगे. इस दौरान लोथवा की पत्नी मति को सबल मार कर जख्मी कर दिया तथा इलाज के क्रम में रांची में मौत हो गयी.

वहीं लोथवा व पुत्री मंजु सोरेन भी गंभीर रूप से जख्मी हुई थी. केस दर्ज होने के बाद पुलिस ने अनुसंधान आरंभ की व चार्जसीट दाखिल किया. इसके बाद इस मामले को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के कोर्ट में भेजा गया, जहां से ट्रायल के लिए सेशन जज छह संजीव भाटिया की अदालत में भेजा. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद धारा 302, 324, एवं डायन प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3 व 4 में दोषी पाकर त्वरित फैसला आया व 26 माह में सूचक को न्याय मिला.

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