प्रतिनिधि, जसीडीह. जसीडीह के शहरी व ग्रामीण इलाकों में दुर्गा पूजा धूमधाम से मनायी गयी. कई स्थानों में मां की प्रतिमा का विसर्जन भी कर दिया गया. दुर्गा पूजा को लेकर पूरे इलाकों में दस दिनों तक भक्तिमय का माहौल बना रहा. रोहिणी, पागलबाबा में स्थापित माता की प्रतिमा को दशमी के दिन विसर्जन किया गया. परंपरा के अनुसार रोहिणी की प्रतिमा को कांधे पर उठा कर विसर्जित किया गया वहीं जसीडीह, कोयरीडीह, मानिकपुर, खोरीपानन, गिघनी, कोठिया, देवपुरा, मालेडीह, कदई, सरसा, गादी जमुआ में स्थापित प्रतिमा को एकादशी के दिन विसर्जन किया गया. इस दौरान लोगों ने जय मां, मायेर जय की जयकारा लगाते हुए विदाई दी. पूजा के अंतिम दिन दशमी तिथि को माता के सामने महिलाओं ने सिंदूर खेल का आयोजन किया. महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगा कर माता रानी से सदा सुहागिन होने की कामना की. पूजा के दौरान पुलिस प्रशासन चुस्त दुरुस्त रहा. विधि व्यवस्था बनाये रखने के सभी पूजा पंडालों व मंदिरो में पुलिस पदाधिकारी व जवान की तैनाती की गयी थी. वही सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति जसीडीह की ओर से महाअष्टमी की रात को जागरण कार्यक्रम आयोजित किया गया. धनबाद के कलाकारों ने भक्ति गीत व नृत्य प्रस्तुत कर मन मोह लिया. भक्ति संगीत से जसीडीह में भक्तिमय बना रहा. कार्यक्रम के दौरान आसपास के सैकड़ों लोग मौजूद थे.वहीं एकादशी के दिन जसीडीह में मेला लगाया गया. मेला में हजारों लोग पहुंचे थे. क्षेत्र में विधि-व्यवस्था को लेकर पुलिस पदाधिकारी व जवान की तैनाती की गयी थी.
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