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बाबा बैद्यनाथ का ऑनलाइन दर्शन : फेसबुक लाइव और दूरदर्शन के जरिए रोजाना भोले भंडारी की पूजा और शृंगार देख रहे हैं भक्त

कोरोना महामारी की घड़ी में भले ही बाबा नगरी देवघर में इस बार श्रावणी मेला का आयोजन नहीं हो सका, मगर राज्य सरकार और जिला प्रशासन की ओर से बाबा बैद्यनाथ का ऑनलाइन दर्शन कराया जा रहा है. देवघर जिला प्रशासन के फेसबुक पेज पर रोजाना बाबा की सुबह पूजा और शाम में होने वाली शृंगार पूजा का लाइव दर्शन कर भक्त आह्लादित हो रहे हैं. बाबा की पूजा-आरती को दूरदर्शन पर भी टेलीकास्ट किया जा रहा है. दूरदर्शन के जरिए भी भक्तों को बाबा की विशेष पूजा देखने का अवसर मिल रहा है.

देवघर : कोरोना महामारी की घड़ी में भले ही बाबा नगरी देवघर में इस बार श्रावणी मेला का आयोजन नहीं हो सका, मगर राज्य सरकार और जिला प्रशासन की ओर से बाबा बैद्यनाथ का ऑनलाइन दर्शन कराया जा रहा है. देवघर जिला प्रशासन के फेसबुक पेज पर रोजाना बाबा की सुबह पूजा और शाम में होने वाली शृंगार पूजा का लाइव दर्शन कर भक्त आह्लादित हो रहे हैं. बाबा की पूजा-आरती को दूरदर्शन पर भी टेलीकास्ट किया जा रहा है. दूरदर्शन के जरिए भी भक्तों को बाबा की विशेष पूजा देखने का अवसर मिल रहा है.

श्रावणी मास के छठे दिन शनिवार को सुबह करीब 4:30 बजे बाबा मंदिर का पट खुला. इसके बाद बाबा बैद्यनाथ की षोडशोपचार विधि से पूजा की गयी. पुजारी गुड्डू शृंगारी और मंदिर दरोगा पारस झा मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश किये. इसके बाद पूजा की परंपरा शुरू हुई. पुरोहित परिवार की ओर से कांचा जल चढ़ाया गया. इसके बाद मुशरिफ परिवार की ओर से एक घड़ा जल चढ़ाकर कांचा जल पूजा का विधिवत समापन किया गया. इसके साथ ही सरकारी पूजा शुरू की गयी.

बाबा की परंपरा के अनुसार प्रात:कालीन पूजा हुई. सरकारी पूजा के बाद तीर्थ पुरोहितों के लिए पट खोला गया. सुबह 6:30 बजे पूजा के बाद मंदिर का पट बंद कर दिया गया. श्रावणी मेला में बाहरी भक्तों के प्रवेश पर रोक के लिए मंदिर के अलग-अलग द्वार पर पुलिसकर्मी मुस्तैद थे. कृष्ण पक्ष षष्ठी तिथि बाबा मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद थी. श्रावणी मास में बाबा बैद्यनाथ के प्रात:कालीन पूजा और शृंगार पूजा को काफी संख्या में भक्तों ने ऑनलाइन देखा. जिला प्रशासन की आधिकारिक वेबसाइट पर लगभग 51000 भक्तों ने फेसबुक पर बाबा का शृंगार दर्शन किया.

मां पार्वती मंदिर में माता के दो रूप मां त्रिपुरसुन्दरी व मां जयदुर्गा के होते हैं दर्शन : द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर व इनके प्रांगण की सभी मंदिरों का पौराणिक महत्व है. भक्त बाबा मंदिर में पूजा व जलार्पण के बाद मां पार्वती की पूजा करते हैं. मान्यता है कि माता सती के ह्दय के गिरने से बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के साथ मां शक्ति विराजमान हैं. माना जाता है कि पार्वती मंदिर का निर्माण वर्ष 1701 से 1710 के बीच उस समय के सरदार पंडा श्रीश्री रत्ना पाणी ओझा ने की थी. इस मंदिर से शिव के साथ शक्ति का महत्व है. मां पार्वती मंदिर की लंबाई लगभग 65 फीट व चौड़ाई लगभग 35 फीट है. जानकारों का कहना है कि पार्वती के शिखर पर पहले तांबे का कलश था, जिसे बाद में बदलकर चांदी का कलश लगाया गया. इसके ऊपर पंचशूल भी लगा है. शिखर के गुंबद के नीचे केसरिया रंग से रंगा हुआ है. इस मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से अलग है. इस मंदिर में सुंदर नक्काशी किया हुआ है. पार्वती मंदिर का दरवाजा पीतल का है. कहा जाता है कि पंजियारा स्टेट के जमींदार शालिग्राम सिंह ने 1889 में पीतल का यह द्वार लगवाया था.

पार्वती मंदिर में माता के दो रूपों का होता है दर्शन : पार्वती मंदिर के गर्भ गृह में माता के दो रूपों का दर्शन होता है. इसमें बायीं ओर मां त्रिपुरसुन्दरी व दायीं ओर मां जयदुर्गा के रूप के दर्शन होते हैं. यह दोनों देवियां वैद्यनाथ तीर्थ की अधिष्ठात्री देवी जय दुर्गा है. बाबा की पूजा के बाद मां पार्वती मंदिर स्थित मां त्रिपुरसुंदरी व मां जयदुर्गा के पूजा का महत्व अधिक है. इन दोनों देवियों की प्रतिमा चारों ओर स्टील की ग्रील से घिरा हुआ है. जिसके कारण मां शक्ति की पूजा करने के लिए प्रवेश कर भक्त बाई ओर से पूजा करते हुए दायीं ओर से बाहर निकलते हैं. यहां पर सभी भक्तों के लिए प्रवेश व निकास द्वार का एक ही रास्ता है.

नवरात्र के समय चार दिनों तक बंद रहता है माता का दरबार : पार्वती मंदिर में मंदिर स्टेट की ओर से ओझा परिवार द्वारा पूजा की जाती है. यहां पर मां शक्ति की तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है. भक्त सालों भर मां शक्ति की पूजा कर सकते हैं. वहीं आश्विन मास में नवरात्र के समय चार दिन तक मां का दरबार बंद रहता है. नवरात्र की सप्तमी तिथि से नवमी तिथि तक भक्त पूजा नहीं कर पाते हैं. इसके बाद दसमी तिथि को दोपहर में विशेष पूजा के उपरांत भक्तों के लिए द्वार खोल दिया जाता है.

हर दिन मंदिर के प्रांगण में होती है संध्या आरती : मां पार्वती के प्रांगण में ही पंडा धर्मरक्षिणी सभा द्वारा दैनिक संध्या आरती की जाती है. परंपरा के अनुसार बाबा बैद्यनाथ मंदिर व मां पार्वती के मंदिर के शिखर को पवित्र धागों से बांधकर गठबंधन जोड़ने की परंपरा है. यह परंपरा शिव और शक्ति के गठजोड़ या गठबंधन को कहा जाता है. शास्त्रों में भी बाबा बैद्यनाथ मंदिर और मां पार्वती के मंदिर के शिखर को धागों गठबंधन से जोड़ने की परंपरा का वर्णन है. यहां आने वाले भक्त बाबा का जलाभिषेक करने के बाद अपनी मनोकामना की पूर्ति व परिवार की खुशहाली के लिए बाबा बैद्यनाथ व मां पार्वती मंदिर के बीच पवित्र गठबंधन कराते हैं. यह परंपरा यहां की विशेषताओं में से एक है. यह किसी अन्य देव स्थलों या ज्योतिर्लिंग में देखने को नहीं मिलता है.

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Posted By : Vishwat Sen

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