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सांस्कृतिक कार्यक्रम में कलाकारों ने दी नृत्य की प्रस्तुति

मधुपुर के बावनबीघा स्थित एक होटल सभागार में संवाद के तत्वावधान में आदिवासी दिवस पर दो-दिवसीय वार्षिक अखड़ा महोत्सव सह आदिवासी संगम का आयोजन

मधुपुर. शहर के बावनबीघा स्थित एक होटल सभागार में संवाद के तत्वावधान में शनिवार को आदिवासी दिवस पर दो-दिवसीय वार्षिक अखड़ा महोत्सव सह आदिवासी संगम का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि विद्रोह मित्रा, पर्यावरणविद् घनश्याम, विशिष्ट अतिथि विधायक प्रतिनिधि शब्बीर अंसारी, सीपीएम राज्य सचिव प्रकाश विप्लव, हाजी अलाउद्दीन अंसारी, मुखिया मरियम टुडू, सालगे मार्डी, अन्ना सोरेन, सरोज शर्मा पूर्णिमा बिरूली, सुरेंद्र बिरूली, जिप सदस्य सोनी सोरेन, पंसस सामोली हांसदा, दिनेश्वर किस्कू, बेरनादेत्त तिर्की ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर व नगाड़ा बजाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस दौरान अतिथियों का स्वागत आदिवासी महिला पुरुषों ने पारंपरिक ढंग से किया. इस अवसर पर विषय प्रवेश करते हुए पर्यावरणविद् घनश्याम ने कहा कि झारखंड जतरा की शुरुआत 1998 में से रांची से हुई थी. वार्षिक अखाड़ा महोत्सव का यह 27 वां आदिवासी संगम है. विश्व आदिवासी दिवस 1994 से दुनिया में मनाया जा रहा है. कहा कि दुनिया के 90 आदिवासी देश में आदिवासी दिवस धूमधाम से मनाया जाता है. झारखंड के गांवों को शोषण दमन मुक्त बनाने समता, न्याय, समाजवाद की स्थापना के लिए 16 जिले के 800 गांव में संवाद ग्राम सभा को सशक्त बनाने का प्रयास कर रही है. ताकि गांव स्वशासी और स्वावलंबी हो सके. गांव की सरकार जब मजबूत होगी, तभी लोकतंत्र मजबूत होगा. उन्होंने कहा कि राज्य के 150 गांव में आदिवासी सांस्कृतिक टोली द्वारा डीजे के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. पारंपरिक वाद्य यंत्र और अपनी संस्कृति को बचाने के लिए सभी को एकजुट होना होगा. मुख्य अतिथि विद्रोह मित्रा ने कहा देश की संस्कृति और खेलकूद को आदिवासी समाज के सहयोग से ही समृद्ध किया जा सकता है. आदिवासी संस्कृति को बचाना जरूरी है. विशिष्ट अतिथि शब्बीर अंसारी ने कहा विश्व के बड़े आदिवासी नेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन अपूरणीय क्षति है. उनके अधूरे सपनों को साकार करना सभी का लक्ष्य होना चाहिए. सीपीएम के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव आदिवासियों के संघर्ष गाथा को साझा करते हुए कहा कि आदिवासी आज विलुप्त हो रहे हैं. जल, जंगल, जमीन को कॉर्पोरेट के माध्यम से उजाड़ा जा रहा है. आदिवासी संस्कृति और सभ्यता हमारी विरासत है. आज आदिवासी को सरना और ईसाई के नाम पर बांटा जा रहा है. आदिवासियों को संस्कृति बचाने के लिए सजग और एकजुट होना जरूरी है. अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखें. कार्यक्रम का संचालन अबरार ताबिन्दा ने किया. आदिवासी संगम सह झारखंड जतरा में झारखंड के 16 जिलों के कलाकार शामिल हो रहे हैं. अलग-अलग टीम अपनी कला का प्रदर्शन कर रही है. मौके पर कुंदन भगत, सैफ, जाकिर,अनूप,बंकू, दिनेश महतो, महानंद, ऐनी टुडू, जावेद, तुहीन पाल, अताउल, कल्पना, इशरत, पार्वती, सीमा, सागोरी, विजय, पंकज, विनोद, धर्मेन्द्र, सुभाष, फातिमा, वीणा, श्यामली, चंदन समेत दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद थे. हाइलार्ट्स : विश्व आदिवासी दिवस पर वार्षिक अखड़ा महोत्सव सह आदिवासी संगम आयोजित .

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