जुर्माना की राशि आरोपितों की ओर से अदा नहीं करने पर अलग से एक साल की सामान्य कैद काटनी होगी. सभी आरोपित जमानत पर थे जिन्हें न्यायिक हिरासत में लेकर मंडल कारा भेज दिया गया. साथ ही न्यायालय ने मृतक के पिता के पुनर्वासन के लिए विक्टिम कंपनसेशन के लिए मुआवजा दिलाने का आदेश दिया. इस मामले में अभियोजन पक्ष से कुल नौ लोगों ने गवाही दी व दोष सिद्ध करने में सफल रहे.
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बच्चे की हत्या के पांच आरोपितों को सश्रम उम्रकैद
देवघर: तीन साल के मासूम बच्चे की हत्या मामले में पांच आरोपितों शुकदेव मंडल, दिलीप मंडल, डेगलाल मंडल, लालजी मंडल व बुधन मंडल को दोषी पाकर सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी. सेशन जज चार लोलार्क दुबे की अदालत ने यह फैसला सुनाया. साथ ही प्रत्येक आरोपितों को 15-15 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया […]
देवघर: तीन साल के मासूम बच्चे की हत्या मामले में पांच आरोपितों शुकदेव मंडल, दिलीप मंडल, डेगलाल मंडल, लालजी मंडल व बुधन मंडल को दोषी पाकर सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी. सेशन जज चार लोलार्क दुबे की अदालत ने यह फैसला सुनाया. साथ ही प्रत्येक आरोपितों को 15-15 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया.
अभियोजन पक्ष से अपर लोक अभियोजक एसपी सिन्हा व बचाव पक्ष से रंजीत कुमार देव ने पक्ष रखा. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद उक्त फैसला भरी अदालत में सुनाया गया. इस मामले के सूचक लक्ष्मी मंडल हैं जो सारठ थाना के भतहड़िया गांव के रहनेवाले हैं. चार आरोपित इसी गांव के हैं जबकि आरोपित बुधन मंडल राजाडीह सारठ का रहनेवाला है.
13 जून 2003 को हुई थी घटना
जिले के सारठ थाना क्षेत्र के भतहड़िया गांव में 13 जून, 2003 को यह घटना हुई थी. इस संबंध में मृतक पप्पू मंडल के पिता लक्ष्मी मंडल के बयान पर सारठ थाना में कांड संख्या दर्ज हुआ जिसमें उपरोक्त पांचों को नामजद आरोपित बनाया गया था. दर्ज प्रथमिकी के अनुसार, आरोपितों के विरूद्ध भादवि की धाराएं 302, 201 व 34 लगायी गयी थी. कहा गया है कि सूचक के तीन साल का पुत्र चापानल की ओर खेलने निकला था जो नहीं लौटा. बाद में खोजबीन के क्रम में एक कुएं से बच्चे का शव मिला, जिसके गरदन की हड्डी टूटी पायी गयी थी. वह इकलौत पुत्र था जिसकी साजिश के तहत हत्या कर दी गयी थी. संतानहीन करने की मंशा के तहत इस घटना को अंजाम दिया गया था.
आरोप पत्र के बाद हुआ सेशन ट्रायल
इस मामले में पुलिस ने अनुसंधान कर आरोप पत्र दाखिल किया. लोअर कोर्ट ने संज्ञान व दौरा सुपुर्दगी के बाद प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में भेज दिया. जिला जज ने ट्रायल के लिए इस मामले को सेशन जज चार की अदालत में भेजा जहां पर ट्रायल पूर्ण हुआ व उक्त सजा सुनायी गयी. इन सबों को भादवि की धारा 302 व 201 में दोषी पाया व अलग-अलग सजाएं दी गयी. हत्या के आरोप में आजीवन उम्रकैद व साक्ष्य छुपाने के आरोप में पांच साल की सजा दी गयी. दोनाें सजाएं साथ-साथ चलेगी व पूर्व में कारा में जो अवधि बीतायी है, उसे इसमें समायोजित कर दिया जायेगा.
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