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पंचायत प्रतिनिधि के पति ने किया हस्तक्षेप, तो होगी कानूनी कार्रवाई

देवघर: पिछले दिनों मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पंचायतीराज में निर्वाचित होकर आयी महिला पंचायत प्रतिनिधियों के कामकाज में उनके पति के हस्तक्षेप पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी. मुख्यमंत्री ने कहा था कि ग्रामीण मुखिया पति को पंचायत सचिवालय नहीं घुसने दें. सरकार ने इस पर कड़े कदम उठाये हैं. ग्रामीण विकास विभाग पंचायतीराज […]

देवघर: पिछले दिनों मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पंचायतीराज में निर्वाचित होकर आयी महिला पंचायत प्रतिनिधियों के कामकाज में उनके पति के हस्तक्षेप पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी. मुख्यमंत्री ने कहा था कि ग्रामीण मुखिया पति को पंचायत सचिवालय नहीं घुसने दें. सरकार ने इस पर कड़े कदम उठाये हैं. ग्रामीण विकास विभाग पंचायतीराज के उपसचिव ने सभी डीडीसी को पत्र जारी कर पंचायतीराज में महिला पंचायत प्रतिनिधियों के कामकाज में पतियों के हस्तक्षेप पर रोक लगाने के लिए कई बिंदुओं पर कड़े निर्देश दिये हैं.
सरकार के उपसचिव के अनुसार पूर्व में दिये गये चेतावनी के बाद भी कई जिलों में महिला पंचायत पदधारकों के बदले उनके पति ही उक्त प्रतिनिधि के पदीय अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं. वैसे पतियों द्वारा सरकारी कार्यों में हस्तक्षेप किया जाता है तथा पंचायत के निर्णयों को प्रभावित किया है. पंचायतीराज नियमावली के तहत यह कृत्य घोर निंदनीय व असंवैधानिक है.

उपसचिव ने डीडीसी को स्पष्ट निर्देश दिया है कि निर्वाचित महिला पंचायत प्रतिनिधि के स्थान पर उनके पति ग्राम सभा, पंचायत सभा, प्रखंड, अनुमंडल या जिलास्तरीय सभा व सम्मेलन में भाग नहीं लें, यह सुनिश्चित करें. किसी स्तर पर पतियों का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जायेगा. रोकने के बावजूद यददि वैसे पति अपनी निर्वाचित पत्नी के अधिकार का प्रयोग करने पर आमदा हो तो उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाये. यदि इस मामले में कोई निर्वाचित महिला पंचायत प्रतिनिधि भी अपने पति का साथ देती है तो सक्षम स्तर से इस बिंदु पर नियमाकुल निर्णय होने तक उक्त महिला पंचायत प्रतिनिधि का पदीय अधिकार स्थगित घोषित कर दिया जायेगा. उप सचिव के अनुसार हस्तक्षेप करने वाले पतियों का यह आचरण महिला जनप्रतिनित्व कानून में महिलाओं की गरिमा व उनके अधिकारों पर चोट पहुंचाने वाला है. पंचायत व महिला शक्तिकरण के इस दौर में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के पतियों का यह अाचरण व व्यवहार गैर कानूनी तथा दंडनीय है.

तत्कालीन डीडीसी ने उठाया था कदम
महिला पंचायत प्रतिनिधियों के कामकाज में पतियों के हस्तक्षेप को रोकने के लिए तत्कालीन डीडीसी मीना ठाकुर ने कई कदम उठाये थे. प्रखंडों में बीडीओ व महिला पंचायत प्रतिनिधियों के साथ बैठककर जागरुक किया गया था. कानूनी कार्रवाई तक हुई थी. जिला परिषद व डीआरडीए में भी प्रवेश द्वार से लेकर बैठक कक्ष में सीसीटीवी कैमरा लगाया गया था. डीआरडीए में महिला जिला परिषद के पति नहीं घुस पायेे, इसके लिए दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त था व बेवजह कार्यालय नहीं घुसे इसके लिए कड़ी निगरानी थी. लेकिन यह व्यवस्था अब डीआरडीए में कारगर नहीं है.

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