पीड़िता को विक्टिम कंपनसेशन अधिनियम के तहत सरकार की आेर से पुनर्वास हेतु 50 हजार रुपये दिये जायेंगे जो डालसा के माध्यम से उपलब्ध करायी जायेगी. इस मामले के दूसरे आरोपित सनोज राय को संदेह का लाभ देते हुए रिहा कर दिया गया. दर्ज एफआइआर में दोनों के विरुद्ध गैंग रेप करते रहने का आरोप है. सुनवाई के दौरान अभियाेजन पक्ष से ब्रह्मदेव पांडेय थे, जिन्होंने कुल 11 लोगों की गवाही कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की और दोष सिद्ध करने में सफल रहे. बचाव पक्ष से एडवोकेट मनोज कुमार राय, अरुण कुमार भैया व दिनेश्वर पंडित थे.
दर्ज प्राथमिकी में बताया गया था कि नाबालिग को भय दिखा कर एक साल तक यौन शोषण किया गया, जिससे वह गर्भवती हो गयी. गर्भवती होने के बाद एक क्लिनिक में बच्चे को जन्म देकर मां बन गयी. केस दर्ज होने के बाद मामले का अनुसंधान हुआ और डीएनए टेस्ट भी हुआ जिसमें नवजात के ब्लड से एक आरोपित का ब्लड मैच कर गया था.