इस संबंध में अनिता अग्रवाल ने बताया कि नौ अप्रैल अंतिम दिन नवविवाहिताएं 16 जगहों का जल पिलायेगी. उसके बाद शिवगंगा सहित आस-पास के तालाबों में गणगौर को विसर्जित करेगी. श्रीमति अग्रवाल ने बताया कि 22 मार्च को होलिका दहन के बाद से पर्व शुरू हो जाता है. इसमें होलिका दहन के राख व गोबर से 16 पिंडिया बनाया गया है.
इसके एक सप्ताह के बाद पांच गणगौर बनाया जाता है. यह घर की बड़ी औरतें बनाती है. मारवाड़ी समाज में गणगौर काफी महत्वपूर्व पर्व है. इसमें 16 दिनों तक नियमपूर्वक पूजा-अर्चना की जायेगी.