बताया जाता है कि मनोज ने दोपहर करीब 12 बजे मुन्ना को उक्त राशि का चेक कैश कराने एसबीआइ मुख्य शाखा साधना भवन भेजा. वहां से चेक कैश कराने के बाद मुन्ना ने धनराशि को एक प्लास्टिक के बटन वाले फाइल में पेपर में लपेट कर अंदर डाला. उक्त फाइल में पहले से कुछ कागजात आदि भी रखा हुआ था. इसके बाद रुपयों से भरे प्लास्टिक फाइल को मुन्ना ने अपनी बाइक में लगी बैगनुमा डिक्की में डाल कर चेन बंद कर दिया और वह वापस इंदिरा नगर के लिये चला.
मुन्ना के अनुसार मनोज अपने आवासीय कार्यालय में अन्य लोगों के साथ बैठे थे. उसने इशारे में पूछा कि पैसा यहीं देना है या घर के अंदर पहुंचाना है. महज इतनी ही देर में वह पैसा निकालने अपनी बाइक के पास पहुंचा तो देखा कि बाइक के बैग का चेन खुला है और रुपयों से भरा प्लास्टिक फाइल गायब है. पहले कुछ देर के लिए मुन्ना को लगा कि हो सकता है कि किसी ने मजाक से निकाला हो किंतु सभी के द्वारा अनभिज्ञता जाहिर करने पर मामले की शिकायत नगर थाने को दी गयी.