देवघर: अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद के 26 वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन में अलग राज्य मिथिला बनाने की मांग जोर-शोर से उठी. सम्मेलन में मैथिली भाषा व आवाज को बुलंद करने के लिए सभी मिथिला भाषियों का एक जुट होने का आह्वान किया गया है. इसमें भारत व नेपाल के प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधि मौजूद थे. मुख्य अतिथि कृष्णानंद झा ने कहा कि भाषा के आधार पर अलग राज्य नहीं मिल सकता है.
अलग राज्य के लिए उन सभी मानदंड को पूरा करना होगा जिसकी जरूरत है. मिथिला की संस्कृति को जब तक अन्य राज्यों की संस्कृति में समन्वय स्थापित नहीं करेंगे तब तक अलग राज्य बनाना संभव नहीं है. जब भाषा को अन्य राज्यों के साथ जोड़ेंगे तो देश की 40 फीसदी आबादी स्वत: जुड़ जायेगी. अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद के अध्यक्ष डॉ कमल कांत झा ने कहा कि मिथिला राज्य की मांग की गयी तो सरकार ने मैथिली भाषा को मान्यता दी.
अलग राज्य की मान्यता के लिए मिथिला के सभी लोगों को आगे आना होगा. साथ ही उन्होंने मांग की है कि झारखंड सरकार मैथिली भाषा को द्वितीय भाषा के रूप में शामिल करे. झारखंड में मैथिली को द्वितीय भाषा में शामिल किये जाने के लिए कांग्रेस के पूर्व मंत्री कृष्णानंद झा से सहयोग मांगा, जिसके बाद श्री झा ने पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया.
इससे पूर्व सम्मेलन का उदघाटन पूर्व मंत्री कृष्णानंद झा, अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद के अध्यक्ष कमल कांत झा, नेपाल के मैथिली परिषद अध्यक्ष करुणा झा, राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ धनाकर ठाकुर, राष्ट्रीय संरक्षक डॉ भुवनेश्वर प्रसाद गुरमैता, बैद्यनाथ मिथिला संस्कृति मंच के अध्यक्ष ओम प्रकाश मिश्र ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का उदघाटन किया. उसके बाद विद्यापति की तसवीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी. कार्यक्रम वैद्यनाथ मिथिला संस्कृति मंच के बैनर तले आयोजित हुआ. धन्यवाद ज्ञापन सेवानिवृत्त आइजी केडी सिंह ने किया. मौके पर रिटायर आइजी केडी सिंह, सुरेश प्रसाद सिंह, देवेंद्र झा, मैथिली परिषद के प्रदेश महासचिव रवींद्र चौधरी व सैकड़ों मिथिला वासी उपस्थित थे.